कैराना की सांसद इकरा हसन द्वारा फरवरी में सदर तहसील के तत्कालीन एसडीएम के खिलाफ की गई शिकायत की जांच पूरी कर ली गई है। रिपोर्ट में पाया गया कि तालाब पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नियमों के तहत और निष्पक्ष तरीके से की गई थी। साथ ही, अधिकारी द्वारा अमर्यादित भाषा के इस्तेमाल का आरोप भी जांच में पुष्ट नहीं हो सका। इसके आधार पर एसडीएम को क्लीन चिट दे दी गई है।
हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम के बाद मंडलायुक्त अटल कुमार राय ने सभी प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि जनप्रतिनिधियों के साथ हमेशा सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित किया जाए। दूसरी ओर, सांसद इकरा हसन ने हाल ही में एडीएम प्रशासन द्वारा कथित रूप से किए गए अनुचित व्यवहार का मामला संसद में उठाया और संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की।
सांसद ने उठाया था एडीएम पर सवाल
सांसद इकरा हसन ने अपनी शिकायत में बताया था कि वह छुटमलपुर नगर पंचायत की चेयरपर्सन के साथ एडीएम कार्यालय पहुंची थीं, जहां एडीएम का रवैया उनके प्रति असम्मानजनक रहा और उन्हें कार्यालय से बाहर जाने को कहा गया। इस विषय में उन्होंने मंडलायुक्त को शिकायत भेजी थी।
डीएम के आदेश पर हुई थी जांच
मंडलायुक्त के निर्देश पर इस मामले की जांच जिलाधिकारी द्वारा एडीएम (वित्त एवं राजस्व) को सौंपी गई थी। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि गांव बरथा कायस्थ स्थित एक तालाब पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई नियमानुसार और निष्पक्ष रूप से की गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया कि तालाब की भूमि पर दीवार खड़ी कर अस्थायी कब्जा किया गया था, जिसमें कृषि उपकरण जैसे गेहूं और चारा काटने की मशीनें रखी गई थीं। प्रशासन ने इन्हें हटवाकर अतिक्रमण समाप्त कराया। साथ ही, जांच में यह भी दर्ज किया गया कि सांसद के साथ फोन पर मर्यादित भाषा में ही संवाद किया गया था।
शिकायत में क्या थे आरोप?
फरवरी में की गई शिकायत में सांसद ने आरोप लगाया था कि गांव बरथा कायस्थ में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान प्रभावित परिवार ने दो दिन की मोहलत मांगी थी, लेकिन एसडीएम ने सिर्फ दो घंटे का समय दिया और फिर मकान गिरवा दिया। उन्होंने यह भी कहा था कि इस बारे में फोन पर बातचीत के दौरान अधिकारी ने व्यंग्यात्मक लहजे में टिप्पणी की और बाद में पीड़ित परिवार के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवा दिया।
अब जबकि जांच में इन आरोपों की पुष्टि नहीं हुई, मंडलायुक्त ने प्रशासनिक अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जनप्रतिनिधियों से संवाद करते समय गरिमा और संयम का विशेष ध्यान रखा जाए।