प्रदेश में बाढ़ की विकट स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रभावित जिलों में राहत और बचाव कार्यों को तेज़ी से अंजाम देने के लिए मंत्रियों की एक ‘टीम-11’ का गठन किया है। यह टीम राज्य के 12 बाढ़ग्रस्त जिलों में जमीनी स्थिति की निगरानी के साथ-साथ प्रभावित लोगों तक मदद पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाएगी।
मुख्यमंत्री ने टीम में शामिल मंत्रियों को निर्देशित किया है कि वे पूरी संवेदनशीलता, तत्परता और पारदर्शिता के साथ काम करें। साथ ही उन्होंने संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और अन्य प्रशासनिक अफसरों को लगातार फील्ड में मौजूद रहते हुए राहत प्रयासों की निगरानी करने को कहा है।
लापरवाही पर चेतावनी, राहत में पारदर्शिता ज़रूरी
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में अधिकारियों को चेताया है कि बाढ़ प्रभावित नागरिकों की सुरक्षा के साथ उन्हें समय पर भोजन, आश्रय और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। ऐसे में किसी भी स्तर पर कोताही या सुस्ती बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सभी मंत्रियों को निर्देश दिया गया है कि वे तत्काल अपने-अपने प्रभार वाले जिलों में पहुंचें, राहत शिविरों का निरीक्षण करें और प्रभावित परिवारों से संवाद स्थापित कर राहत कार्यों की समीक्षा करें।
सीएम ने यह भी कहा कि तटबंधों की चौबीसों घंटे निगरानी की जाए, जलभराव वाले क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित निकाला जाए और राहत शिविरों में भोजन, दवाइयां, स्वच्छता, शौचालय तथा महिलाओं-बच्चों के लिए आवश्यक सुविधाएं सुलभ कराई जाएं।
राहत सामग्री की गुणवत्ता से समझौता नहीं
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रभावित परिवारों को गुणवत्तायुक्त राहत सामग्री और भोजन के पैकेट समयबद्ध तरीके से वितरित किए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि जिन परिवारों की फसलें नष्ट हुई हैं, या जिनके घर और जरूरी सामान बाढ़ की वजह से क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें 24 घंटे के भीतर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सहभागिता से आर्थिक सहायता पहुंचाई जाए।
पशुओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और उनके लिए चारे की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए गए हैं। अस्पतालों में सर्पदंश और रेबीज के इलाज के लिए आवश्यक इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित करने को भी कहा गया है।
आपदा प्रबंधन के लिए सतर्कता के निर्देश
मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन की तैयारियों की समीक्षा करते हुए राहत आयुक्त द्वारा जारी की जाने वाली चेतावनी सूचना को तत्काल जनसामान्य तक पहुंचाने और आपदा प्रबंधन से संबंधित सभी प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा है। साथ ही, प्रभावित क्षेत्रों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की बाढ़ इकाइयों को पूरी तरह सतर्क रखने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने किसानों की फसलों के नुकसान का त्वरित सर्वेक्षण कराने और सहायता के लिए समयबद्ध कदम उठाने को भी प्राथमिकता देने की बात कही।
इन मंत्रियों को सौंपी गई ज़िम्मेदारी
टीम-11 के अंतर्गत जिन मंत्रियों को बाढ़ प्रभावित जिलों की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उनमें नंद गोपाल गुप्ता नंदी को प्रयागराज, मिर्जापुर और बांदा; स्वतंत्रदेव सिंह व संजय गंगवार को जालौन; स्वतंत्रदेव सिंह और प्रतिभा शुक्ला को औरैया; रामकेश निषाद को हमीरपुर; जयवीर सिंह को आगरा; सुरेश खन्ना को वाराणसी; संजय निषाद को कानपुर देहात; दया शंकर मिश्रा ‘दयालु’ को बलिया; धर्मवीर प्रजापति को इटावा और अजीत पाल को फतेहपुर का प्रभारी मंत्री नियुक्त किया गया है।