मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में जलभराव और नदियों के बढ़ते जलस्तर को लेकर सोमवार को उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि जनता को किसी प्रकार की असुविधा न हो—यह प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए और इस मामले में कोई ढिलाई स्वीकार नहीं की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश के कारण जलभराव, सड़क क्षति और कई क्षेत्रों में नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। ऐसी स्थितियों पर सतत निगरानी रखी जाए। नगर निगमों, विकास प्राधिकरणों, संबंधित विभागों और जिलों के प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि जल निकासी की व्यवस्था तत्काल प्रभाव से सुधारी जाए और किसी भी प्रकार की शिकायत या आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जाए।
सीएम ने निर्देश दिया कि नगर निकाय नियमित रूप से सीवर लाइनों और ड्रेनेज सिस्टम की सफाई सुनिश्चित करें। जिन सड़कों को जलभराव ने नुकसान पहुंचाया है, उनकी मरम्मत प्राथमिकता के आधार पर की जाए। साथ ही, जलभराव प्रभावित क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति का संचालन अत्यंत सतर्कता के साथ हो, ताकि किसी तरह की दुर्घटना न हो।
भारी बारिश वाले क्षेत्रों का करें निरीक्षण: जलशक्ति मंत्री को निर्देश
मुख्यमंत्री ने जलशक्ति मंत्री और विभाग के प्रमुख सचिव को बुंदेलखंड सहित अत्यधिक वर्षा वाले इलाकों का स्थल निरीक्षण करने के निर्देश दिए। उन्होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश के उन 16 जिलों का विशेष उल्लेख किया, जहां अब तक औसत से कम वर्षा दर्ज की गई है। ऐसे इलाकों में किसानों को सिंचाई के लिए आवश्यक जल संसाधन उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए गए।
तटीय क्षेत्रों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को सक्रिय रहने को कहा गया है, ताकि आपदा की स्थिति में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके और उन्हें भोजन, पेयजल, चिकित्सा जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें। नियंत्रण कक्षों के माध्यम से हालात पर 24 घंटे नजर रखी जाए।
राजस्व विभाग करे नुकसान का आंकलन
मुख्यमंत्री ने पशुपालन, कृषि और राजस्व विभाग को निर्देशित किया कि बारिश और जलभराव से हुई फसलों, पशुधन या निजी संपत्ति की क्षति का तुरंत आकलन किया जाए और राहत एवं मुआवजा वितरण की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए।