रायसत्ती थाना क्षेत्र के मोहल्ला हातिम सराय में तालाब की जमीन पर बने 80 मकानों को अवैध घोषित कर प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की, लेकिन मकान मालिकों ने इस पर आपत्ति जताई है। सरायतरीन निवासी पूर्वी वार्ष्णेय का दावा है कि जिस जमीन पर मकान बने हैं, वह उनकी आठ बीघा पुश्तैनी निजी संपत्ति है। उनका कहना है कि जमीन उनकी दादी राम सुनीति देवी की थी, जिसे उन्होंने लोगों को बेचा था।

पूर्वी वार्ष्णेय ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने तहसील रिकॉर्ड की जांच किए बिना कार्रवाई शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि तहसील में इस जमीन का पूरा रिकॉर्ड दर्ज है और मकान मालिकों ने बैनामा भी करवा रखा है।

तहसीलदार धीरेंद्र सिंह ने कहा था कि सरकारी आठ बीघा तालाब को अवैध रूप से पाटकर 80 मकानों का निर्माण किया गया है। इसके लिए मकानों पर नोटिस जारी कर 15 दिन का समय दिया गया था।

इसी क्रम में बुधवार को 40 मकानों पर ध्वस्तीकरण के लिए लाल निशान लगा दिए गए।

लाल निशान लगने के बाद मकान मालिकों में चिंता फैल गई और कई परिवार उच्च न्यायालय तक पहुंच गए। याचिकाओं में उन्होंने बैनामा की कॉपी पेश की है और सुनवाई सोमवार को होने की संभावना है। मकान मालिकों का कहना है कि प्रशासन ने मौके पर दस्तावेजों की जांच तक नहीं की और सीधे कार्रवाई शुरू कर दी।

पूर्वी वार्ष्णेय ने बताया कि उनकी दादी के नाम 12 बीघा जमीन थी, जिसे 2009 के बाद लोगों को बेचा गया। वर्षों तक जमीन में खेती होती रही और कुछ हिस्सों में मिट्टी खोदकर तालाबनुमा क्षेत्र बन गया। जमीन बिक्री के बाद तालाब भी पाट दिया गया, लेकिन यह पूरी तरह से निजी संपत्ति थी।

वहीं, एडीएम कोर्ट ने 14 सितंबर 2009 को राम सुनीति देवी की निजी संपत्ति होने का आदेश दिया था। कोर्ट ने सरकारी नोटिस को वापस करते हुए स्पष्ट किया था कि निजी संपत्ति पर पीपी एक्ट लागू नहीं होता।

डीएम संभल डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने कहा कि निजी जमीन होने का मामला उनके संज्ञान में आया है और दोनों पक्षों को बुलाकर समस्या का समाधान किया जाएगा। किसी के खिलाफ गलत कार्रवाई नहीं होगी।


इस बीच, सपा विधायक इकबाल महमूद ने भी डीएम से मुलाकात कर कार्रवाई से पहले गहन जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि जिस भूमि पर मकान बने हैं, वह सरकारी तालाब की भूमि नहीं है और लंबे समय से फसली रही है।