इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने संत रामपाल के संस्थानों द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में हिंदू देवी-देवताओं के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत ने जानना चाहा है कि इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गई है और क्या भविष्य में कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। कोर्ट ने सरकारी पक्ष से 15 जुलाई को होने वाली सुनवाई में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने यह आदेश ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक ट्रस्ट द्वारा दाखिल याचिका पर दिया। याचिका में मांग की गई है कि उन पुस्तकों पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए जिनमें आपत्तिजनक सामग्री है, साथ ही पूरे मामले की जांच के लिए विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) का गठन किया जाए।
याचिका में याची पक्ष की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने अदालत को बताया कि संत रामपाल से संबंधित संस्थानों द्वारा प्रकाशित कुछ पुस्तकों में हिंदू देवी-देवताओं के संबंध में अभद्र और आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं। इस संबंध में उन्होंने प्रमुख सचिव गृह को शिकायत दी थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता मनीष मिश्रा से पूछा है कि अब तक की गई या प्रस्तावित कार्रवाई का विवरण अगली सुनवाई में प्रस्तुत किया जाए। अदालत ने संकेत दिया है कि यदि आवश्यक हुआ तो याचिका में नामजद पक्षकारों को नोटिस भी जारी किए जाएंगे।