उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में साइबर अपराधियों ने एक चौंकाने वाली ठगी को अंजाम देते हुए शहर की एक महिला को आतंकवाद से जुड़े फर्जी मामले में फंसा दिया। खुद को पुलिस अधिकारी बताने वाले ठगों ने महिला को यह कहकर डराया कि उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल आईएसआई ने सेटेलाइट फोन खरीदने और आतंकियों की फर्जी पहचान बनाने में किया है। इस मनगढ़ंत कहानी के सहारे उन्होंने महिला को गिरफ्तारी के भय से मानसिक दबाव में डाल दिया।
आरोपियों ने ‘मामला दबाने’ के नाम पर उससे सोने-चांदी के आभूषण, बैंक खातों में जमा रकम और एफडी का इंतजाम करने को कहा। डर के माहौल में महिला ने करीब 70 लाख रुपये की व्यवस्था कर दी। इस दौरान वह 42 घंटे तक घर में कैद रही और किसी को कुछ बताने की हिम्मत नहीं जुटा सकी।
वीडियो कॉल से रची ठगी की पटकथा
घटना प्रेमनगर थाना क्षेत्र के एकतानगर की है। सोमवार दोपहर गुलशन कुमारी नाम की महिला को एक अज्ञात नंबर से वीडियो कॉल आया। स्क्रीन पर पुलिस की वर्दी और डीआईजी रैंक की टोपी पहने एक व्यक्ति नजर आया। उसने खुद को पहलगाम थाने का अधिकारी बताते हुए महिला पर फर्जी सिम कार्ड और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगाए।
सख्त लहजे में धमकी दी गई कि अगर उसने यह बात किसी से साझा की तो अंजाम गंभीर होंगे। महिला की तबीयत बिगड़ने पर ठगों ने एंबुलेंस और एनआईए अस्पताल में भर्ती कराने का झांसा भी दिया, जिससे वह और डर गई। पति की मृत्यु और अकेलेपन का अपराधियों ने पूरा फायदा उठाया।
बेटी की सूचना पर बची महिला की जान
गुरुवार को महिला की बेटी ने साहस दिखाते हुए मामले की जानकारी एसएसपी अनुराग आर्य को दी। निर्देश मिलते ही एसपी सिटी मानुष पारीक टीम के साथ मौके पर पहुंचे और महिला को ‘डिजिटल गिरफ्त’ से बाहर निकाला। जांच में पता चला कि वीडियो कॉल पर दिख रहा तथाकथित पुलिस अधिकारी वास्तव में साइबर ठग था। उसकी वर्दी पर दरोगा के दो स्टार लगे थे, लेकिन टोपी डीआईजी की थी।
पुलिस ने महिला को साइबर अपराधों से बचने के उपाय बताए और भरोसा दिलाया कि वह अब सुरक्षित है। गुलशन कुमारी ने बरेली पुलिस, विशेषकर एसपी सिटी मानुष पारीक का आभार व्यक्त किया। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि किसी भी संदिग्ध कॉल पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें और घटना की तत्काल सूचना साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर दें।