उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अयोध्या दौरे के दौरान प्रशासनिक कामकाज को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि रामलला के दर्शन के लिए लोग दूर-दराज से आते हैं और उन्हें आसानी से दर्शन का अवसर मिल जाता है, लेकिन सरकारी दफ्तरों में फाइलें एक टेबल से दूसरी टेबल तक घूमती रहती हैं और उनका निस्तारण मुश्किल हो जाता है।
राज्यपाल ने ये तीखी टिप्पणी अयोध्या में आयोजित सीएसआर कॉन्क्लेव के दौरान की। उन्होंने अधिकारियों को नसीहत देते हुए कहा कि फाइल जब पहली बार किसी टेबल पर पहुंचे, तभी उसमें सारी त्रुटियां चिह्नित कर ली जानी चाहिए ताकि आम लोगों को बार-बार दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें। उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल उत्तर प्रदेश की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे देश में सरकारी कार्यालयों में यही हालात हैं।
राज्यपाल के इस बयान के बाद से प्रशासनिक हलकों में हलचल है। अधिकारियों के बीच यह संदेश गया है कि उच्च स्तर पर भी उनकी कार्यप्रणाली पर नजर रखी जा रही है और लापरवाही पर कार्रवाई संभव है।
कार्यक्रम में राज्यपाल ने 70 आंगनबाड़ी भवनों का शिलान्यास किया और जनपद के आंगनबाड़ी केंद्रों को 1000 प्री-स्कूल किट उपलब्ध कराने हेतु एमओयू पर हस्ताक्षर भी कराए। उनके बयान ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि शासन व्यवस्था में पारदर्शिता और गति लाना अब समय की जरूरत है।