दिवाली पर भारी आतिशबाजी और धीमी हवाओं के चलते लखनऊ में मंगलवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 250 दर्ज किया गया, जो ऑरेंज जोन में आता है। यह स्तर बच्चों, बुजुर्गों और सांस के रोगियों के लिए नुकसानदेह माना जाता है। एक दिन पहले सोमवार को AQI 144 रहा था, जो तुलनात्मक रूप से बेहतर था, जबकि बुधवार को हवा में हल्की सुधार के साथ AQI 183 दर्ज किया गया।
बीते वर्षों की तुलना में लखनऊ की हवा का हाल
पिछले पांच साल में दिवाली के अगले दिन राजधानी में AQI लगातार उच्च दर्ज किया गया है। वर्ष 2021 में 278, 2022 में 246, 2023 में 219 और 2024 में 306 AQI दर्ज किया गया था। इस वर्ष 250 AQI दर्ज होने से पिछले साल की तुलना में थोड़ी राहत मिली है, लेकिन हवा अभी भी अस्वास्थ्यकर स्तर पर बनी हुई है।
प्रदूषण और स्वास्थ्य पर असर
अधिकारियों और स्थानीय लोगों ने बताया कि दिवाली के अगले दिन सुबह लखनऊ में धुंध और धुएं की मोटी परत के कारण सांस लेने में कठिनाई हुई। आंखों में जलन और अन्य तकलीफों की शिकायतें बढ़ गईं। विशेषज्ञों ने इसे सीजन का पहला स्मॉग बताया।
उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी जेपी मौर्या ने कहा कि AQI में तेज बढ़ोतरी केवल आतिशबाजी के कारण नहीं, बल्कि वाहनों के उत्सर्जन और धीमी स्थिर हवा के कारण भी हुई। प्रदूषण कम करने के लिए लालबाग, गोमतीनगर आदि में पानी का छिड़काव किया गया।
विशेषज्ञों की सलाह
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. शैलेश कुमार सिंह ने बुजुर्गों और सांस रोगियों को सुबह-शाम खुले में टहलने से बचने, मास्क पहनने और बच्चों को प्रदूषित हवा से दूर रखने की सलाह दी।
बुधवार को शहर के विभिन्न क्षेत्रों में AQI का हाल
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लालबाग: 267 – ऑरेंज, बेहद खराब
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तालकटोरा: 219 – ऑरेंज, बेहद खराब
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गोमतीनगर: 116 – पीला, खराब
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अलीगंज: 192 – पीला, खराब
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बीबीएयू: 171 – पीला, खराब
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कुकरैल: 133 – पीला, खराब
विशेषज्ञों का कहना है कि हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए लगातार मॉनिटरिंग और सतत प्रयास जरूरी हैं, खासकर दिवाली जैसे त्योहारों के बाद।