कानपुर पुलिस ने झूठे दुष्कर्म और पॉक्सो मामलों के जरिए रंगदारी वसूलने वाले गिरोह पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस रैकेट के मास्टरमाइंड अधिवक्ता अखिलेश दुबे को पहले ही पकड़ा जा चुका है। अब उसका करीबी और सहयोगी अधिवक्ता शैलेंद्र यादव उर्फ़ टोनू भी पुलिस के हत्थे चढ़ गया है।
रविवार को हुई गिरफ्तारी के बाद टोनू ने पूछताछ में कई सनसनीखेज खुलासे किए। उसने माना कि भाजपा नेता रवि सतीजा को फर्जी दुष्कर्म केस में फंसाने की साजिश में उसकी अहम भूमिका थी। जांच में सामने आया कि इस गिरोह द्वारा लड़कियों को झूठे मुकदमों में शामिल करने के लिए 5 से 50 हजार रुपये तक दिए जाते थे। 6 अगस्त को रवि सतीजा ने चकेरी थाने में तहरीर देकर अखिलेश दुबे, लवी मिश्रा, अभिषेक बाजपेई, शैलेंद्र यादव और विमल यादव समेत अन्य पर 50 लाख रुपये रंगदारी मांगने का आरोप लगाया था।
ऐसे चलता था खेल
पुलिस की जांच में पता चला कि टोनू सोशल मीडिया के जरिए लड़कियों और महिलाओं से संपर्क कर उन्हें लालच देता था। उन्हें झूठे मामलों में गवाही देने या शिकायत दर्ज कराने के लिए तैयार किया जाता था। रवि सतीजा प्रकरण में भी उसने अभिषेक बाजपेई के साथ मिलकर एक लड़की को फंसाने का काम किया। पुलिस अब उस महिला से भी पूछताछ कर रही है, जिसने अपनी नाबालिग बहन के साथ गैंगरेप का आरोप लगाया था। शुरुआती जांच में यह साफ हुआ है कि वह भी इस सिंडिकेट के प्रभाव में थी।
रैकेट की कड़ियां जुड़ रहीं
अधिकारियों का कहना है कि गिरफ्तार टोनू से पूछताछ में कई नाम सामने आ सकते हैं। माना जा रहा है कि यह नेटवर्क लंबे समय से नेताओं, कारोबारियों और प्रभावशाली लोगों को झूठे मामलों में फंसाकर वसूली करता रहा है। पुलिस ने अन्य आरोपियों की तलाश तेज कर दी है और कई संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है।
कैसे जुड़ा गिरोह से
पूछताछ में शैलेंद्र ने बताया कि वर्ष 2012 में उसके मामा जयहिंद यादव की हत्या के मामले की पैरवी के दौरान उसकी मुलाकात अधिवक्ता अखिलेश दुबे से हुई थी। वहीं से दोनों की नजदीकी बढ़ी और बाद में वह अखिलेश का भरोसेमंद सहयोगी बन गया।
पुलिस का कहना है कि टोनू के बयान और मोबाइल डेटा से पूरे रैकेट की परतें खुलने की संभावना है। आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।