बुलंदशहर में बाढ़ का कहर: चार मंदिर व तीन धर्मशालाएं डूबीं, हजारों बीघा फसलें जलमग्न

यूपी के बुलंदशहर में गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से सिद्धबाबा घाट के चार मंदिर और दो धर्मशाला पानी में समा गए हैं। घाट के पास बनी लगभग 10 मीटर लंबी सीसी सड़क भी बह गई है। नदी का पानी खेतों से होकर करीब 10 गांवों तक फैल गया है, जिससे लोगों को भारी परेशानी हो रही है। नरौरा बैराज पर जलस्तर खतरे के निशान से 62 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है और अभी इसमें और बढ़ोतरी की संभावना बनी हुई है। किसान फसलों के नुकसान को लेकर भी चिंतित हैं। वन विभाग द्वारा गंगा किनारे लगाए गए हजारों पौधे भी पानी में बह गए हैं। प्रशासन ने भी सतर्कता बढ़ा दी है।

गंगा का रौद्र रूप

बिजनौर बैराज से छोड़े जा रहे पानी और पहाड़ों में हो रही बारिश के कारण गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। सिद्धबाबा घाट के पास स्थित गंगा मंदिर, हनुमान मंदिर, गुरु गोरखनाथ मंदिर, जाहरवीर बाबा मंदिर और दो धर्मशालाएं गंगा के पानी में डूब गई हैं। कई पेड़ भी नदी के तेज प्रवाह में बह गए हैं। क्षेत्र में कटाव भी तेज हुआ है, जिससे स्थानीय लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं। घाट पर स्थित देवी मंदिर अभी बचा है, लेकिन उसके भी बह जाने का खतरा बना हुआ है।

खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा

नरौरा गंगा बैराज पर जलस्तर लगातार बढ़कर खतरे के निशान से 62 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है। यहां से गंगा में प्रति सेकंड लगभग 3,05,041 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। सिंचाई विभाग के अनुसार, जब पानी की निकासी 2.5 लाख क्यूसेक तक पहुंचती है, तो जलस्तर खतरे के निशान पर पहुंच जाता है। अनूपशहर में भी जलस्तर में तेज बढ़ोतरी हुई है, जहां पिछले 24 घंटे में करीब 2 फुट पानी का स्तर ऊपर गया है। बिजनौर बैराज से सुबह 1.30 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिससे जलस्तर और बढ़ने की संभावना है।

नहरों का बंद होना

नरौरा गंगा बैराज से निकली एलजीसी व पीएलजीसी नहरों को बाढ़ के दौरान भारी मात्रा में मिट्टी और सिल्ट के जमा होने के कारण बंद कर दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि सिल्ट जमा होने की आशंका के चलते नहरों का संचालन फिलहाल रोका गया है। पानी साफ होने पर ही नहरों में जल छोड़ा जाएगा।

गांवों तक पहुंचा पानी, फसलों को भारी नुकसान

अहार क्षेत्र के कई गांवों में गंगा का पानी पहुंच चुका है। सैद घूरे घटटी की नई बस्ती समेत कई घरों के बाहर जल भर गया है। किसानों की लौकी, तोरही आदि फसलें जलमग्न होकर नष्ट हो गई हैं। खादर क्षेत्र के करीब दस गांवों में सैकड़ों बीघा खेत पानी में डूबे हैं, जिससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। गंगा प्लेटफार्म पर तीन फुट से अधिक पानी जमा होने से वहां व्यापार करने वाले दुकानदारों को भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। त्रिवेणी घाट पर स्नान के लिए लोगों को बांस की चाली का सहारा लेना पड़ रहा है। मोहल्ला गंगाद्वार के लाल महादेव घाट से लगभग 150 फीट अंदर तक पानी फैल चुका है। राजघाट के बाजार में भी पानी आ गया है।

किसानों की चिंता

राजघाट ग्राम प्रधान ओमवीर सिंह, सुभाष यादव और अन्य ने बताया कि गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण खेतों में खड़ी फसलों में पानी भर गया है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ी है। पशुओं के चारे की भी कमी होने लगी है। भारतीय किसान यूनियन टिकैत के जिला महासचिव युवा मान सिंह ने प्रशासन से किसानों के नुकसान का आकलन कर आर्थिक मदद की मांग की है।

प्रशासन की सतर्कता

एसडीएम अनूपशहर प्रियंका गोयल ने बताया कि प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है और 24 घंटे निगरानी जारी है। बाढ़ चौकियों पर लेखपाल और तहसील कर्मी तैनात किए गए हैं। घाटों पर अलर्ट जारी है और पुलिस बल भी तैनात किया गया है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे घाटों से दूर रहें और नदी में स्नान न करें।

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