बुंदेलखंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन द्वारा राहत कार्यों के तमाम दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हालात इससे अलग तस्वीर पेश करते हैं। कई इलाकों में पीड़ितों को भरपेट भोजन तक नहीं मिल पा रहा है, जबकि दूध और फल जैसी चीजें अब भी पहुंच से दूर हैं।
बांदा में सिर्फ दिखावे की राहत?
बांदा जिले के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में लेखपाल चुनिंदा लोगों को ही राशन सामग्री वितरित कर रहे हैं और फोटो खींचकर वहां से चले जाते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारियों का रवैया असंवेदनशील है। कई जगह लेखपालों ने स्पष्ट कह दिया कि यदि पूड़ी चाहिए तो तहसील तक लाइन लगाकर आइए, जहां फोटो खींचकर उसे ऑनलाइन डाला जाएगा। हालत यह है कि लोगों को लंच पैकेट के लिए 10 से 15 किलोमीटर तक का सफर करना पड़ रहा है।
पशुओं की भी भूख से हालत खराब
सिर्फ इंसान ही नहीं, मवेशी भी भूख से परेशान हैं। हमीरपुर में पशुपालकों ने पशुपालन विभाग का भूसा वितरण केंद्र तक लूट लिया। बांदा के पैलानी क्षेत्र के नारदादेव गांव की एक बुजुर्ग महिला राम प्यारी बताती हैं कि उन्हें अब तक प्रशासन से कुछ नहीं मिला, जो कुछ हाथ में आया है वह भी आसपास के लोगों से।
प्रशासनिक इंतजामों की पोल खुली
आमारा गांव के प्रधान अशोक ने भी यही बात दोहराई कि गांव में अब तक कोई राशन किट या लंच पैकेट नहीं पहुंचा है। पैलानी के सिंधन गांव निवासी सरजू का कहना है कि उन्हें न तो प्रशासनिक सहायता मिली और न ही खाने का कोई इंतजाम हुआ। राजस्व अधिकारियों का कहना है कि सरकार के निर्देशों के अनुसार राहत किट बांटते समय लाभार्थी की तस्वीर लेना जरूरी है, जिससे समय की काफी बर्बादी हो रही है।
हमीरपुर में राहत केंद्रों पर अफरातफरी
हमीरपुर में तंबुओं में शरण लिए बाढ़ पीड़ित राहत सामग्री मिलते ही टूट पड़ते हैं। जिले में कुछेछा डिग्री कॉलेज और महर्षि विद्या मंदिर में दो राहत शिविर संचालित हैं, जबकि कई लोग नेशनल हाईवे और राठ मार्ग किनारे ठहरे हुए हैं। पशुपालन विभाग ने भूसा वितरण के लिए दो केंद्र स्थापित किए हैं। रविवार रात चौरादेवी मंदिर परिसर में जब भूसा पहुंचा तो उसे पशुपालक जबरन उठा ले गए। वायरल वीडियो में पशुपालकों को खुद भूसा भरते और अधिकारियों को मना करते सुना गया।
प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी उपेंद्र सिंह ने बताया कि अब तक करीब 100 क्विंटल भूसा वितरित किया जा चुका है।
बाढ़ राहत किट में क्या है शामिल?
प्रशासन द्वारा तैयार की गई राहत किट में 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, 2 किलो अरहर दाल, 10 किलो आलू, 200 ग्राम हल्दी, 100 ग्राम मिर्च, 200 ग्राम सब्जी मसाला, 1 लीटर सरसों तेल, 1 किलो नमक, 20 सैनिटरी पैड, 2 कपड़े धोने के साबुन, एक तौलिया और एक मग शामिल है।
राहत शिविरों में भोजन की व्यवस्था
शिविरों में सुबह के नाश्ते में दलिया, उबला चना, पोहा और मौसमी फल दिए जा रहे हैं। 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों को एक गिलास दूध भी देने की योजना है।
दोपहर के भोजन में सब्जी, दाल, चावल और रोटी, जबकि रात को सब्जी के साथ रोटी या पूड़ी परोसी जाती है।
प्रशासन का दावा
बांदा की जिलाधिकारी जे. रीभा ने कहा है कि प्रशासन ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि राहत शिविर हो या खुले में रह रहे लोग—सभी जरूरतमंदों को राशन और लंच पैकेट उपलब्ध कराए जाएं। यदि किसी को समस्या हो तो टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज करें, जिसे तुरंत सुलझाया जाएगा।