उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद के बाद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खां ने पहली बार इस मामले पर मुखर होकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे जानबूझकर भड़काया गया मामला बताया और कहा कि प्रशासन संवाद के जरिए इसे हल कर सकता था।

आजम खां ने कहा कि “अगर मैं इसे चिंगारी भी कहूं तो सवाल यह है कि इतनी छोटी बात इतनी बड़ी आग कैसे बन गई। इतिहास गवाह है कि किसी भी विवाद का हल बातचीत से ही निकलता है।” उन्होंने इस विवाद को देश की गंगा-जमुनी तहजीब को चोट पहुंचाने की साजिश करार दिया। उनके अनुसार, अगर जिला प्रशासन चाहता तो इस मसले को बातचीत से सुलझाया जा सकता था।

विवाद की पृष्ठभूमि

यह विवाद कानपुर में चार सितंबर 2025 को तब शुरू हुआ था जब बारावफात (ईद-मिलादुन्नबी) के जुलूस के दौरान रामनवमी शोभायात्रा मार्ग के पास एक टेंट पर ‘आई लव मोहम्मद’ का बैनर लगाया गया। यह बैनर परंपरागत जुलूस मार्ग से हटकर लगाया गया था, जिससे हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई और बैनर फाड़ दिया। इस घटना के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया। पुलिस ने बैनर हटवाकर दोनों पक्षों में समझौता कराया।

बाद में पांच सितंबर को जुलूस के दौरान मुस्लिम समुदाय के कुछ युवकों पर धार्मिक पोस्टर फाड़ने का आरोप लगा, जिससे विवाद और भड़क गया। इस मामले में पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर 25 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी और पूरे प्रदेश में तनाव बढ़ गया।

दिवाली पर प्रतिक्रिया

इससे पहले दिवाली के अवसर पर आजम खां ने कहा था कि “दीये जलते नहीं हैं, बल्कि रोशन किए जाते हैं। रोशन किए गए दीये लोगों को ठंडक पहुंचाते हैं और नफरत मिटाने का काम करते हैं। उनके घर आने वाले लोग समझते हैं कि मेरे साथ गलत हुआ है और उनकी हमदर्दी मेरे लिए दवा का काम कर रही है।”

आजम खां ने यह भी बताया कि उन्हें मिलने के लिए लोग लगातार आ रहे हैं और वे लोग संतुष्ट हैं कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ। उन्होंने इसे लंबी कुर्बानी का परिणाम बताते हुए कहा कि वे सीधे भुक्तभोगी हैं, लेकिन लोगों की हमदर्दी उन्हें सांत्वना दे रही है।