जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने बुधवार को न्यायिक कार्यों का बहिष्कार कर कोर्ट परिसर के बाहर धरना दिया। अधिवक्ताओं ने जेल में बंदी की मौत को अमानवीय बताया और कारागार में भ्रष्टाचार व दुर्व्यवहार रोकने की मांग उठाई। इस दौरान वकील सड़क पर लेटकर प्रदर्शन करते रहे, जिससे करीब 15 मिनट तक यातायात बाधित रहा।
एसोसिएशन अध्यक्ष भगवानदास दीक्षित और महामंत्री शैलेंद्र सचान के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने कलक्ट्रेट पहुंचकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम कार्यालय में सौंपा और एसपी को भी प्रतिलिपि दी। उन्होंने आरोप लगाया कि 14 सितंबर को जेल में निरुद्ध बंदी अनिल द्विवेदी की पिटाई से मौत हुई और उसे समय पर उपचार भी नहीं मिला। अधिवक्ताओं का कहना है कि जेल में बंदियों और मुलाकात करने आने वालों के साथ लगातार अपमानजनक व्यवहार हो रहा है।
उन्होंने अनिल द्विवेदी की मौत के जिम्मेदार लोगों की तत्काल गिरफ्तारी, परिजनों को 50 लाख रुपये मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। साथ ही कारागार में फैले भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग भी रखी।
जेलर निलंबित, विभागीय जांच शुरू
इस घटना के बाद शासन ने जेलर केपी चंदीला को निलंबित कर दिया। पहले ही डिप्टी जेलर संगेश कुमार और जेल वार्डर अनिल कुमार पर निलंबन की कार्रवाई हो चुकी थी। मृतक बंदी की पत्नी पूजा ने जेल प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था। पुलिस ने जेलर, डिप्टी जेलर, वार्डर और अन्य कर्मचारियों समेत आठ लोगों पर हत्या और वसूली का मामला दर्ज किया है। जेल अधीक्षक मंजीव विश्वकर्मा ने बताया कि न्यायिक और विभागीय जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।