वाराणसी। काशी की पहचान बन चुकी बनारसी साड़ी अब वैश्विक बाजारों में भी अपनी चमक बिखेरने को तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पारंपरिक शिल्प को नया आयाम देने के लिए डबल इंजन सरकार लगातार प्रयासरत है। राज्य और केंद्र सरकार की नीतियों ने न केवल इस विरासत कला को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया है, बल्कि स्थानीय कारीगरों और बुनकरों की आय बढ़ाने में भी अहम योगदान दिया है।

ओडीओपी योजना के तहत बनारसी सिल्क को जिस पहचान मिली है, उसने काशी को वैश्विक व्यापार की नई राहें दिखाईं। इसी क्रम में बनारसी साड़ी और सिल्क परिधान अब भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला-2025 में अपनी उत्कृष्ट बुनकारी और समृद्ध परंपरा का प्रदर्शन करेंगे।

भारत मंडपम में लगेगा काशी के हुनर का मेला

“एक भारत, श्रेष्ठ भारत” थीम पर आयोजित यह मेला 14 से 27 नवंबर 2025 तक प्रगति मैदान (भारत मंडपम्) में चलेगा। इस बार उत्तर प्रदेश पार्टनर स्टेट के रूप में शामिल है, जिससे राज्य के हस्तशिल्पियों, उत्पादकों और निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के सामने अपने उत्पाद पेश करने का बड़ा अवसर मिला है।
काशी से 29 हस्तशिल्पियों ने मेले में भाग लेने के लिए पंजीकरण कराया है, जिनमें से 17 नेशनल अवॉर्डी हैं—यह अपने आप में वाराणसी के शिल्प की ताकत और गुणवत्ता को दर्शाता है।

बनारसी साड़ी को मिला नया बाजार

जिला उद्योग प्रोत्साहन एवं उद्यमिता विकास केंद्र के उपायुक्त मोहन कुमार शर्मा के अनुसार, ओडीओपी के दायरे में शामिल होने और जीआई टैग मिलने के बाद बनारसी साड़ी की मांग देश और विदेश—दोनों जगह बढ़ी है। इससे बुनकरों के लिए नए बाजार और ग्राहकों तक पहुंच आसान हुई है। सरकार की यह पहल पारंपरिक कला को आर्थिक मजबूती देने के साथ-साथ इसे वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

शिल्प, परंपरा और सौंदर्य का अद्भुत संगम

बनारसी साड़ी सिर्फ एक परिधान नहीं, बल्कि भारतीय परंपरा और शिल्प कौशल का गर्वपूर्ण प्रतीक है। बॉलीवुड सितारों से लेकर अंतरराष्ट्रीय डिजाइनर तक इस साड़ी की कारीगरी के प्रशंसक हैं। सरकार का उद्देश्य है कि काशी के बुनकरों और कलाकारों का हुनर दुनिया भर के बाजारों में पहुंचे।