बरेली में पकड़े गए अब्दुल मजीद के गिरोह को लेकर पुलिस और जांच एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। आशंका जताई जा रही है कि इस नेटवर्क को पाकिस्तान समेत कुछ अन्य देशों से आर्थिक मदद मिल रही हो सकती है। हालांकि अधिकारी साफ कर रहे हैं कि आगे की जांच के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट होगी। फिलहाल मजीद और उसके तीन साथियों के 21 बैंक खाते चिन्हित किए गए हैं, जिनमें से अकेले मजीद और उसकी पत्नी के खातों से 13 लाख रुपये से अधिक का लेनदेन सामने आया है।
सोशल मीडिया पर सक्रिय था नेटवर्क
जांच में सामने आया है कि गिरोह ने कई सोशल मीडिया ग्रुप बनाए हुए थे। इन ग्रुप्स में जाकिर नाइक और अन्य कट्टरपंथी वक्ताओं के वीडियो-ऑडियो शेयर किए जाते थे। साथ ही समुदाय विशेष की लड़कियों के फोटो व वीडियो डालकर युवाओं से चैट कराई जाती थी। पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल जब्त कर डाटा सुरक्षित कर लिया है और कॉल डिटेल खंगाली जा रही है।
संदिग्ध खातों में असामान्य लेनदेन
गिरोह से जुड़े दर्जी सलमान के नाम पर 12 बैंक खाते मिले हैं, जिनमें से छह उसकी पत्नी के नाम पर हैं। इनमें उसकी आय से कहीं अधिक रकम जमा पाई गई है। वहीं, आरिफ और फहीम के नाम से दो-दो खाते बरामद हुए हैं।
धर्म परिवर्तन के तरीके
गिरोह तलाकशुदा, पारिवारिक कलह झेल रहे या अकेले रहने वाले लोगों को आसान निशाना बनाता था।
- पीड़ित को यह समझाया जाता कि उसकी समस्याओं की जड़ उसका धर्म है।
- जाकिर नाइक और पाकिस्तानी धर्मगुरु ईआर मिर्ज़ा की सामग्रियों से मानसिक प्रभाव डाला जाता।
- नकद, कपड़े, मोबाइल और नौकरी का लालच देकर प्रलोभन दिया जाता।
- धीरे-धीरे पीड़ित को परिवार और समाज से दूरी बनाने की सलाह दी जाती।
बरामद सामग्री
पुलिस को आरोपियों के पास से धार्मिक किताबें, ताबीज़, नमाज की सामग्री, हरे रंग की माला, नकद रकम और धर्म प्रचार से जुड़ी वीडियो-ऑडियो सामग्री मिली है। मोबाइल फोन, लैपटॉप और ग्रुप चैट के रिकॉर्ड भी सुरक्षित किए गए हैं।
पुलिस की कार्रवाई जारी
एसपी दक्षिणी अंशिका वर्मा ने बताया कि मजीद देश के कई राज्यों में घूम चुका है, लेकिन उसकी विदेश यात्रा का कोई प्रमाण नहीं मिला है। बैंक खातों और मोबाइल नंबरों की जांच जारी है। अन्य संदिग्धों की पहचान कर जल्द गिरफ्तारी की जाएगी। फिलहाल विदेशी फंडिंग के सीधे सबूत हाथ नहीं लगे हैं, लेकिन एजेंसियां हर पहलू पर जांच कर रही हैं।