मेरठ: मोबाइल फोन के व्यापक उपयोग के चलते मेरठ के सरकारी कार्यालयों में लैंडलाइन फोन का महत्व तेजी से कम हो गया है। आज अधिकांश विभागों और कार्यालयों में लैंडलाइन कनेक्शन या तो बंद हैं या काम नहीं कर रहे।
जिला प्रशासन और विकास भवन में उपलब्ध विभागीय फोन नंबरों की सूची में भी अधिकांश लैंडलाइन नंबर गायब हैं। जिले के केवल कुछ वरिष्ठ अधिकारी और उनके कार्यालय ही ऐसे हैं जहां लैंडलाइन फोन अभी भी कार्यरत हैं।
मुख्यमंत्री ने इस स्थिति से नाराजगी जताई है। उन्होंने सभी डीएम और पुलिस अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर जिला स्तरीय कार्यालयों में लैंडलाइन फोन क्रियाशील कराकर अधिकारियों के पदनाम सहित सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। इस आदेश का पालन कराने के लिए जिलाधिकारी डॉ. वी. के. सिंह ने एसएसपी, सीडीओ, सभी एडीएम, सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम और जिला स्तरीय अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
कलक्ट्रेट परिसर में चार एडीएम कार्यालय हैं, लेकिन इनमें से केवल एडीएम प्रशासन का लैंडलाइन फोन कार्यरत है। विकास भवन में विभिन्न विभागों के कार्यालयों में केवल सीडीओ कार्यालय का लैंडलाइन फोन चालू है। डीएम कार्यालय में लैंडलाइन नंबर सूचीबद्ध हैं, लेकिन क्रियाशील केवल कुछ ही हैं।
जिलाधिकारी डॉ. वी. के. सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद सभी विभागों में सक्रियता बढ़ गई है। उन्होंने कहा, “एक सप्ताह के भीतर सभी विभागों में लैंडलाइन फोन क्रियाशील कराए जाएंगे।”
लैंडलाइन की संख्या में भारी गिरावट
मेरठ जिले में 2005 के आसपास लैंडलाइन फोन की संख्या 90 हजार से अधिक थी। मोबाइल फोन के बढ़ते उपयोग के चलते यह संख्या लगातार घटती रही। अप्रैल 2014 में बीएसएनएल के लैंडलाइन कनेक्शन 45,204 थे। वर्तमान में जिले में लैंडलाइन की संख्या सात हजार से भी कम है। यदि फाइबर (FTTH) कनेक्शन को शामिल किया जाए, तो कुल संख्या 14,368 होती है। अन्य कंपनियों द्वारा भी फाइबर लैंडलाइन सेवा प्रदान की जा रही है।