लखनऊ में रोशनी और खुशियों का त्योहार दिवाली इस बार भी कई घरों के लिए दर्दनाक साबित हुआ। आतिशबाज़ी और पटाखों की लापरवाही के कारण राजधानी में करीब 200 लोग घायल हो गए। कई लोगों की उंगलियां और हाथ-पैर झुलस गए, जबकि कुछ लोग गंभीर चोटों के साथ अस्पताल पहुंचे।
केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर इस बार सबसे अधिक गंभीर घायलों का केंद्र रहा। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. प्रेमराज सिंह ने बताया कि दिवाली की रात से लेकर मंगलवार शाम तक लगातार पटाखों से झुलसे घायल अस्पताल में भर्ती होते रहे। इस दौरान कुल 37 मरीज ट्रॉमा सेंटर लाए गए, जिनमें से 15 को गंभीर झुलसने की स्थिति में प्लास्टिक सर्जरी विभाग में भर्ती करना पड़ा।
प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. विजय कुमार ने बताया कि इस वर्ष गंभीर चोटों के मामले पिछले साल की तुलना में अधिक रहे। जहां पिछली बार संख्या केवल कुछ दर्जन में थी, इस बार कई दर्जन लोग गंभीर रूप से झुलसे हुए अस्पताल पहुंचे।
केजीएमयू प्रवक्ता प्रो. केके सिंह ने बताया कि 37 में से 19 घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया, जबकि शेष को भर्ती रखना पड़ा। वहीं, डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान में भी दिवाली की रात 53 घायल मरीज पहुंचे, जिनमें अधिकांश आग और पटाखों से झुलसे थे।
घायलों में कई के चेहरे और हाथ बुरी तरह झुलस गए। कुछ के हाथ-पैर और हड्डियां भी क्षतिग्रस्त हुईं, जिन्हें हड्डी रोग विभाग में भर्ती किया गया। राहत की बात यह रही कि सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों की संख्या इस बार कम रही। सामान्यतः 60-70 ऐसे मरीज आते हैं, जबकि इस वर्ष केवल करीब 20 ही आए।
अस्पतालों में दिवाली की रात भारी भीड़ देखने को मिली। बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी ने बताया कि 67 मरीज इमरजेंसी में लाए गए, जिनमें से 49 लोग पटाखे या सड़क हादसों का शिकार थे। अधिकांश को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया।
लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि वहां 40 घायल लाए गए, जिनमें से 28 लोग झुलसे हुए थे। इसी तरह, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में भी 40 मरीजों को आपातकालीन कक्ष में लाया गया।