लखनऊ। नगर निगम की लापरवाही और जल निकासी की बदहाल व्यवस्था ने एक बार फिर एक नागरिक की जान ले ली। ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के टंडन ढाल के पास मंगलवार सुबह बारिश के दौरान खुले नाले में गिरकर बह गए युवक सुरेश लोधी (40) का शव बुधवार सुबह कुड़ियाघाट के पास मिला। यह घटना नगर निकायों की कार्यशैली और मानसून तैयारी की असलियत उजागर करती है।
बारिश में नाले और सड़क का फर्क मिटा
मंगलवार सुबह करीब छह बजे जब शहर में तेज बारिश हो रही थी, तभी सुरेश लोधी घर से निकले। पानी के तेज बहाव और खुले नाले की पहचान न कर पाने के कारण वे उसमें गिर पड़े और बह गए। स्थानीय लोगों ने तत्काल पुलिस व SDRF को सूचना दी। रेस्क्यू टीमों ने 24 घंटे से अधिक समय तक तलाशी अभियान चलाया। बुधवार सुबह कैटल कॉलोनी क्षेत्र में उनका शव बरामद हुआ।
परिजनों का आरोप: मौत का जिम्मेदार नगर निगम
मृतक के परिजनों ने नगर निगम और स्थानीय पार्षद पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि इलाके में जल निकासी की कोई उचित व्यवस्था नहीं है और नाले खुले छोड़ दिए गए हैं। बारिश में सड़क और नाला एक समान नजर आते हैं, जिससे यह हादसा हुआ।
स्थानीय लोगों की नाराजगी
स्थानीय निवासी रमेश कुमार ने बताया, “यह समस्या हर मानसून में सामने आती है। कोई चेतावनी बोर्ड नहीं, कोई बैरिकेडिंग नहीं। सुरेश सुबह जैसे ही निकले, देखते ही देखते हादसे का शिकार हो गए।”
मुख्यमंत्री ने जताया दुख, 5 लाख की सहायता का ऐलान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवार को 5 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। साथ ही नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिए हैं कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
हर साल दोहराती है नगर निगम की नाकामी
मानसून से पहले नाले साफ होने के दावों के बावजूद हर वर्ष लखनऊ में जलभराव और हादसों की पुनरावृत्ति होती है। शहर के कई नाले अभी भी खुले पड़े हैं, जिनके कारण हर मानसून में जान का खतरा मंडराता रहता है।
जनप्रतिनिधियों पर भी उठे सवाल
स्थानीय पार्षद व विधायकों की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। मानसून पूर्व समीक्षा बैठकें और तैयारियों की योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित नजर आती हैं।
जनता में रोष, प्रदर्शन की चेतावनी
घटना के बाद क्षेत्रवासियों में भारी आक्रोश है। कई लोगों ने विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। नगर निगम अधिकारियों ने संवेदनशील इलाकों में खुले नालों को जल्द कवर करने, चेतावनी बोर्ड लगाने और जल निकासी दुरुस्त करने का आश्वासन दिया है। हालांकि जनता अब सिर्फ कार्यवाही नहीं, ज़मीन पर बदलाव चाहती है।