लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी को देश की पहली पूर्ण विकसित एआई सिटी बनाने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। अन्य स्मार्ट सिटी मॉडलों की तुलना में यहां तकनीकी ढांचे और डिजिटल बुनियादी सुविधाओं को और अधिक मजबूत किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राज्य सरकार ने एआई आधारित राष्ट्रीय कमांड सेंटर की स्थापना भी शुरू कर दी है।
स्वास्थ्य और शिक्षा में एआई का उपयोग
फतेहपुर में देश का पहला एआई-आधारित स्तन कैंसर स्क्रीनिंग सेंटर शुरू किया गया है, जो बीमारियों की शुरुआती पहचान और इलाज में अधिक सटीकता प्रदान करेगा। इसके अलावा, सरकारी मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को नि:शुल्क एआई और क्लाउड कोर्स की शिक्षा दी जा रही है, जिससे अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य-तकनीक विशेषज्ञ तैयार किए जा सकें।
शिक्षा क्षेत्र में भी डिजिटल और एआई आधारित ढांचा तैयार किया जा रहा है। माध्यमिक शिक्षा परीक्षाओं में एआई बॉट्स की मदद से त्रुटियों और अनियमितताओं में कमी आई है। शिक्षक और छात्र दोनों ही एआई टूल्स में प्रशिक्षित हो रहे हैं, जिससे सीखने के नए अवसर खुल रहे हैं।
कृषि क्षेत्र में एआई का प्रभाव
विश्व बैंक समर्थित यूपी एग्रीज के माध्यम से राज्य के 10 लाख से अधिक किसान एआई आधारित सलाह से जुड़ चुके हैं। उपग्रह चित्र, मिट्टी विश्लेषण और मौसम मॉडल आधारित संसाधनों के जरिए फसल उत्पादन में सुधार, जोखिम का पूर्वानुमान, पानी और खाद का न्यूनतम उपयोग तथा संसाधनों की सटीक निगरानी संभव हो रही है।
सुरक्षा क्षेत्र में एआई का योगदान
राज्य में एआई आधारित तकनीक कानून-व्यवस्था में भी मदद कर रही है। इसमें फेसियल रिकॉग्निशन नेटवर्क, वाहन ट्रैकिंग, पुलिस कंट्रोल रूम से जुड़े SOS सिस्टम, प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स आधारित निगरानी और जेलों में एआई सुरक्षा तंत्र शामिल हैं। इन उपायों से सुरक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता में सुधार हुआ है और राज्य में कानून-व्यवस्था को नए स्तर पर लाया जा रहा है।