उत्तर प्रदेश में बिहार की तरह ही मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस प्रक्रिया के तहत प्रदेश के प्रत्येक मतदाता को गणना फॉर्म भरकर हस्ताक्षर करना होंगे। चुनाव आयोग द्वारा तिथियों की घोषणा होते ही बीएलओ (बेसिक लेवल ऑफिसर) घर-घर जाकर ये फॉर्म वितरित करेंगे।
मुख्य चुनाव अधिकारी नवदीप रिणवा ने सभी संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण दे दिया है। वर्ष 2003 की मतदाता सूची, जिसका उपयोग विधानसभा और लोकसभा चुनावों में होता है, वेबसाइट ceouttarpradesh.nic.in पर अपलोड की जा रही है।
बीएलओ प्रि-प्रिंटेड (पहले से भरे) गणना फॉर्म दो प्रतियों में मतदाताओं को देंगे। एक प्रति मतदाता द्वारा साइन करवाकर अपने पास रखी जाएगी। यदि मतदाता का नाम वर्ष 2003 की सूची में मौजूद है, तो वह सत्यापन के दौरान बीएलओ को अपनी जानकारी दे देगा। आयोग का प्रयास है कि बीएलओ स्वयं 2003 की सूची से विवरण निकालकर फॉर्म के साथ जोड़ दें, ताकि मतदाताओं को कोई असुविधा न हो। सत्यापित नाम फाइनल सूची में शामिल कर लिए जाएंगे।
कौन-कौन सी जानकारी देनी होगी
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2003 की सूची में नाम वाले मतदाता: केवल साइन करके फॉर्म जमा करेंगे।
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2003 की सूची में नाम न होने वाले, जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले: आयोग द्वारा मान्य 11 दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज बीएलओ को देना होगा।
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जन्म 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच: अपना कोई एक मान्य दस्तावेज और माता या पिता का एक मान्य दस्तावेज देना होगा। यदि माता या पिता का नाम 2003 की सूची में है, तो उसका विवरण भी प्रमाण माना जाएगा।
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2 दिसंबर 2004 के बाद जन्म लेने वाले मतदाता: अपने और अपने माता-पिता दोनों का कोई एक मान्य दस्तावेज देना होगा।
ये जन्म तिथियां नागरिकता संबंधी अधिनियम में संशोधनों को ध्यान में रखते हुए तय की गई हैं। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में करीब 15 करोड़ 42 लाख मतदाता हैं और अनुमान है कि लगभग 70 प्रतिशत मतदाता 2003 की सूची के आधार पर सत्यापित होंगे।