पशु अधिकार कार्यकर्ता और भाजपा नेता मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों को लेकर आदेश को अनुपयुक्त और लागू करना कठिन बताया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला गुस्से में लिया गया है और व्यवहारिक नहीं है। मेनका ने बताया कि दिल्ली में कोई सरकारी शेल्टर होम नहीं है और इतने कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाना असंभव है। इसके लिए बड़े पैमाने पर भूमि, भारी खर्च और हजारों कर्मचारी नियुक्त करना जरूरी होगा, जो दो महीने में संभव नहीं है।
मेनका ने आगे कहा कि जब कुत्तों को पकड़ने की कार्रवाई शुरू होगी तो लोग विरोध करेंगे, जिससे तनाव की स्थिति बनेगी। इसके अलावा, कुत्तों के विस्थापन के बाद आसपास के राज्यों से कुत्ते फिर दिल्ली आ जाएंगे, जिससे नसबंदी और खर्चे दुबारा बढ़ेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में शामिल मुख्य बातें:
- दिल्ली-एनसीआर के नगर निगम अधिकारी आठ सप्ताह के भीतर सभी आवारा कुत्तों को पकड़ कर आश्रय गृहों में रखेंगे।
- कुत्तों को सार्वजनिक जगहों पर नहीं छोड़ा जाएगा और आश्रय स्थलों की सीसीटीवी निगरानी की जाएगी।
- पकड़े गए कुत्तों का रिकॉर्ड रखा जाएगा।
- एक सप्ताह के भीतर कुत्तों के काटने की शिकायत दर्ज करने के लिए हेल्पलाइन स्थापित की जाएगी।
- रेबीज के खतरे को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएंगे।
- बच्चों को कुत्तों से होने वाले खतरे से बचाने के निर्देश दिए गए हैं।
- आश्रय गृहों में नसबंदी और टीकाकरण के लिए पर्याप्त कर्मचारी होंगे।