गोरखपुर। लड़कियों की तस्करी में लिप्त एक अंतरराज्यीय गिरोह का खुलासा हुआ है, जिसका नेटवर्क आगरा, दिल्ली और राजस्थान तक फैला है। पुलिस मुठभेड़ में गिरोह के सरगना मोहर्रम को गिरफ्तार किया गया, जो अपना असली नाम छिपाकर ‘राहुल’ बताकर लड़कियों को बहलाता था और फिर उन्हें नौकरी का झांसा देकर बेच देता था।
गिरोह के सदस्य गोरखपुर और महराजगंज क्षेत्रों में सक्रिय थे। वे लड़कियों को पहले दिल्ली ले जाते, जहां से अन्य सहयोगी उन्हें राजस्थान और हरियाणा में सौंप देते। अब तक तीन लड़कियों की तस्करी की पुष्टि हुई है, जिनमें एक 15 वर्षीय किशोरी भी शामिल है।
पूछताछ में मोहर्रम उर्फ राहुल ने स्वीकार किया कि वह निचलौल (महराजगंज) में अपने साथियों की मदद से लड़कियों को एकत्र करता और फिर उन्हें राजस्थान व हरियाणा ले जाता। जब पुलिस उसे लड़कियों को रखे जाने वाले ठिकाने पर लेकर जा रही थी, तो उसने दरोगा की पिस्टल छीनने की कोशिश की और भागते हुए फायरिंग की। जवाबी कार्रवाई में उसके दाहिने पैर में गोली लगी और वह दबोच लिया गया।
इससे पहले पुलिस ने शुक्रवार को अजमेर (राजस्थान) के गांधीनगर क्षेत्र के बागचंद प्रजापति, हरमाड़ा निवासी सरवन पुरी, आगरा के सन्नी सिंह और उसकी पत्नी राधा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस दो और आरोपियों की तलाश कर रही है।
ग़रीब लड़कियाँ थीं निशाना, दिल्ली ले जाकर होता था सौदा
इस गिरोह का मुख्य निशाना आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की लड़कियाँ थीं। गिरोह में गोरखपुर की दो महिलाएँ शामिल हैं, जो लड़कियों को नौकरी का लालच देतीं और उन्हें मोहर्रम उर्फ राहुल के पास ले जातीं। मोहर्रम उन्हें यह भरोसा दिलाता कि दिल्ली जाकर उनकी ज़िंदगी बदल जाएगी। मासूम लड़कियाँ उसके झांसे में आकर तैयार हो जाती थीं, लेकिन दिल्ली पहुंचने के बाद उन्हें बेच दिया जाता था।
1.80 लाख में नाबालिग को राजस्थान में बेचा गया
गिरोह के चार सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद यह भी खुलासा हुआ कि पिपराइच क्षेत्र की एक नाबालिग को 1.80 लाख रुपये में राजस्थान में बेचा गया था। सूत्रों के मुताबिक खोराबार निवासी राधा को सहजनवां की एक महिला ने नौकरी का प्रलोभन दिया था और दिल्ली ले गई थी। वहीं, गिरोह के सदस्य सन्नी सिंह को राधा पसंद आ गई, जिससे उसने शादी कर ली और खोराबार में किराए का कमरा लेकर रहने लगा।
राधा ने बाद में गिरोह के लिए काम करना शुरू कर दिया और सहजनवां की महिला के साथ मिलकर गरीब लड़कियों को शादी का झांसा देने लगी। गिरोह में सन्नी और निचलौल निवासी एक युवक राजस्थान और हरियाणा में सौदा करते थे, जबकि दिल्ली में बैठा एक बिचौलिया सौदे को अंतिम रूप देता था।
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
इस पूरे रैकेट का खुलासा तब हुआ जब पिपराइच क्षेत्र की एक महिला ने अपनी 15 वर्षीय बेटी के 15 मार्च से लापता होने की रिपोर्ट 4 जुलाई को दर्ज कराई। पुलिस ने 11 जुलाई को किशोरी को उनौला रेलवे स्टेशन के पास से बरामद किया। पूछताछ में किशोरी ने बताया कि उसे 1.80 लाख रुपये में राजस्थान में बेच दिया गया था और वह किसी तरह जान बचाकर वापस आई।
उसके बयान के आधार पर पुलिस ने खोराबार में किराए पर रह रहे सन्नी और राधा की जानकारी जुटाई। इसके बाद बागचंद प्रजापति, सरवन पुरी, सन्नी सिंह और राधा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
तीन महीने तक बंधक रही किशोरी, मां करती रही इंतजार
नाबालिग ने पुलिस को बताया कि उसे दिल्ली में नौकरी दिलाने का झांसा देकर राजस्थान भेजा गया था, जहां उसे तीन महीने तक एक मकान में बंधक बनाकर रखा गया। इस दौरान उसकी किसी से बात नहीं कराई गई। वहीं, खोराबार में राधा किशोरी की मां को यह कहकर बहलाती रही कि बेटी नौकरी कर रही है और जल्द ही पैसे भेजेगी। तीन महीने बाद जब कोई संपर्क नहीं हुआ तो मां ने थाने में शिकायत दी, जिससे इस बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हो सका।