सपा ने आगामी पंचायत चुनाव में सीधे उम्मीदवार नहीं उतारने की रणनीति अपनाने का निर्णय लिया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत सदस्य के पदों पर सपा अपने आधिकारिक उम्मीदवार खड़ा नहीं करेगी। इसका मुख्य कारण यह है कि पार्टी के कई कार्यकर्ता एक ही पद के लिए चुनाव मैदान में उतर सकते हैं, और किसी एक का समर्थन करना आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति के लिहाज से उपयुक्त नहीं माना गया।

हालांकि, जो सपा कार्यकर्ता क्षेत्र पंचायत या जिला पंचायत सदस्य के पद पर जीत हासिल करेंगे, उनके लिए पार्टी आगामी ब्लॉक प्रमुख या जिला पंचायत अध्यक्ष के पदों पर अपनी रणनीति बनाएगी। फिलहाल इस रणनीति का कोई आधिकारिक खुलासा नहीं किया गया है।

अखिलेश का हमला आकाश आनंद पर:
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का बसपा नेता आकाश आनंद पर हमला पार्टी की नई आक्रामक रणनीति का संकेत माना जा रहा है। उन्होंने भाजपा और बसपा में अंदरूनी समझौते का आरोप लगाया और कहा कि आकाश आनंद की बसपा में जरूरत भाजपा को ज्यादा है। आकाश आनंद मायावती के उत्तराधिकारी माने जाते हैं और बसपा सुप्रीमो के भतीजे भी हैं।

मायावती ने 9 अक्टूबर को लखनऊ की रैली में सपा के पीडीए अभियान पर निशाना साधा था। इसके बाद से अखिलेश ने सीधे बसपा नेताओं पर टिप्पणी नहीं की थी। अब उनकी आकाश आनंद पर टिप्पणी ने राजनीतिक निहितार्थ पैदा कर दिए हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, सपा 2027 के विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने के लिए दलित मतदाताओं का समर्थन जरूरी मान रही है। पहले दलित वोटबैंक पर बसपा का दबदबा रहा है, लेकिन हाल के चुनावों में भाजपा ने इसमें सेंध लगाई है। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा भी दलित वोट में अच्छी पकड़ बनाने में सफल रही।

अखिलेश ने पार्टी नेताओं को दलित मतदाताओं के बीच सक्रिय रहने का संदेश दिया है और जहां भी उनके साथ अत्याचार हो रहा है, उसे प्रमुखता से उठाने का निर्देश दिया है। रायबरेली में वाल्मीकि युवक की हत्या इसका ताजा उदाहरण है। हालांकि, आकाश आनंद पर अखिलेश के बयान का भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।