पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच मतदाता सूचियों में भारी गड़बड़ी सामने आई है। नाम जोड़ने, हटाने और संशोधन की समयसीमा खत्म हो चुकी है, लेकिन अब तक 2 करोड़ 14 लाख से अधिक डुप्लीकेट मतदाताओं का सत्यापन पूरा नहीं हो पाया है।

राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलों को 90 लाख 76 हजार से अधिक मतदाताओं की सूची भेजी थी, जिनके नाम, पिता का नाम और लिंग एक समान पाए गए थे। जांच में सामने आया कि कई मतदाताओं के नाम दो से तीन बार सूचियों में दर्ज हैं, जिससे कुल डुप्लीकेट मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 27 लाख 33 हजार 769 तक पहुंच गई।

इन मतदाताओं का आधार नंबर से मिलान करने और सत्यापन की जिम्मेदारी जिलों को दी गई थी। आयोग ने निर्देश जारी कर कहा था कि जिन मतदाताओं के नाम एक से अधिक गांवों में पाए जाएं, उन्हें जांच पूरी होने पर हटाया जाए। इसके लिए 30 सितंबर से 13 अक्टूबर तक का समय तय किया गया था।
गौरतलब है कि पंचायत चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में प्रस्तावित हैं, जबकि फाइनल मतदाता सूची 15 जनवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी।

निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार, अब तक केवल 13 लाख 28 हजार 419 मतदाताओं का ही सत्यापन हो सका है। इनमें से 11 लाख 64 हजार 744 मतदाता सही पाए गए, जबकि 1 लाख 63 हजार 675 नामों को सूची से हटाया गया। यानी कुल डुप्लीकेट मतदाताओं में से करीब 94 प्रतिशत का सत्यापन अब भी लंबित है, जो आयोग के निर्देशों की अनदेखी को दर्शाता है।

सूत्रों के मुताबिक, विधानसभा और लोकसभा चुनाव की मतदाता सूचियों की तुलना में स्थानीय निकायों (नगर व ग्राम पंचायतों) की सूचियों में करीब 50 लाख अधिक वोटर दर्ज हैं। आयोग का मानना है कि अगर सत्यापन प्रक्रिया पूरी कर ली जाए, तो पंचायत चुनाव से पहले बड़ी संख्या में फर्जी और दोहराए गए वोटर हटाए जा सकते हैं, क्योंकि कई मतदाताओं के नाम कई ग्राम पंचायतों में एक साथ दर्ज पाए गए हैं।