उत्तर प्रदेश में बिजली दरों को लेकर शुक्रवार को राज्य सलाहकार समिति की बैठक में चर्चा पूरी हो गई। विभिन्न संगठनों और उपभोक्ता प्रतिनिधियों ने दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी का एक सुर में विरोध किया। विद्युत उपभोक्ता परिषद, मेट्रो कॉर्पोरेशन और अन्य सदस्यों ने इस कदम को अनुचित ठहराया। हालांकि, पावर कॉर्पोरेशन का पक्ष था कि बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए दरों में संशोधन जरूरी है, लेकिन नियामक आयोग उपभोक्ताओं की चिंताओं के प्रति अधिक संवेदनशील नजर आया, जिससे दरों में भारी बढ़ोतरी की संभावना क्षीण दिख रही है।
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन ने विभिन्न विद्युत निगमों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता रिपोर्ट में करीब 19,000 करोड़ रुपये के घाटे का हवाला देते हुए लगभग 45% बिजली दर बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव की नियामक आयोग द्वारा सभी ज़िलों में सुनवाई कराई गई, जिसमें उपभोक्ता संगठनों ने खुलकर विरोध जताया।
शुक्रवार को आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य सलाहकार समिति की बैठक में निदेशक टैरिफ सरबजीत सिंह ने प्रस्ताव का विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। पावर कॉर्पोरेशन का कहना था कि पांच वर्षों से बिजली दरें नहीं बढ़ाई गई हैं, और स्मार्ट प्रीपेड मीटर जैसी योजनाओं के खर्च की भरपाई जरूरी है। इसके लिए या तो सरकार से अनुदान लिया जाए या फिर दरें बढ़ाई जाएं।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि स्मार्ट मीटर की योजना नोएडा पावर कंपनी में असफल रही है और इसका वित्तीय बोझ उपभोक्ताओं पर डालना अनुचित है। उन्होंने सुझाव दिया कि उपभोक्ताओं पर बकाया 33,122 करोड़ रुपये को बिजली दरों में समायोजित कर धीरे-धीरे वापस किया जाए, जिससे दरें भी कम रहें और उपभोक्ताओं का हित भी सुरक्षित हो।
मेट्रो कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने भी दर वृद्धि पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि मेट्रो को किसी तरह की सब्सिडी नहीं मिलती, ऐसे में अतिरिक्त वित्तीय भार संस्था को संकट में डाल सकता है। इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने भी बिजली दरों में बढ़ोतरी का विरोध किया।
बैठक में आयोग के सदस्य संजय कुमार सिंह, ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव नरेंद्र भूषण, पावर कॉर्पोरेशन के एमडी पंकज कुमार, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की एमडी रिया केजरीवाल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
उपभोक्ता परिषद ने रखा लिखित प्रस्ताव
बैठक के दौरान उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, दीपा और डॉ. भारत राज सिंह ने लिखित रूप में सुझाव दिया कि उपभोक्ताओं पर 33,122 करोड़ रुपये की बकाया राशि को ध्यान में रखते हुए बिजली दरों में 45% तक की कटौती की जा सकती है। साथ ही, उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना के तहत 44,094 करोड़ रुपये के निवेश को देखते हुए पूर्वांचल और दक्षिणांचल को निजीकरण से दूर रखते हुए आत्मनिर्भर बनाया जाए।
वर्मा ने यह भी सवाल उठाया कि जब पावर कॉर्पोरेशन ने 18,885 करोड़ के टेंडर को 27,342 करोड़ में मंज़ूरी दी, तो उस अतिरिक्त राशि का भार उपभोक्ताओं पर क्यों डाला जा रहा है। उन्होंने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि बीपीएल श्रेणी के घरेलू उपभोक्ताओं के लिए प्रस्तावित दरें 3 से 4 रुपये प्रति यूनिट रखी गई हैं, जो कि भाजपा के चुनावी संकल्प के खिलाफ है।