लखनऊ। बसपा की हालिया रैली के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपने चुनावी रणनीति पर नई मोड़ लेते हुए दलित वोट बैंक पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, सपा अब उन योजनाओं और कार्यों को जनता के सामने रखेगी, जो दलितों के कल्याण और विकास से संबंधित हैं और सपा सरकार के कार्यकाल में लागू की गई थीं। इसमें समाजवादी पेंशन और आवासीय सुविधाओं जैसी योजनाएं भी शामिल हैं। हर जिले में पार्टी पदाधिकारियों को इसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी जा रही है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा प्रमुख मायावती के पीडीए अभियान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पार्टी आंतरिक तौर पर पलटवार की रणनीति तैयार कर रही है। उन्होंने बसपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “आकाश आनंद की जितनी जरूरत बीएसपी को है, उससे ज्यादा बीजेपी को है।”
अखिलेश ने जाति आधारित भेदभाव के मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि इस वजह से हरियाणा में आईपीएस अधिकारी ने आत्महत्या की और न्यायपालिका में भी जाति आधारित घटनाएं सामने आईं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा पीडीए से डर रही है और जातीय समीकरण को अपनी ‘सोशल इंजीनियरिंग’ मानती है।
बिहार में चुनाव प्रचार को लेकर अखिलेश ने कहा कि जहां भी बुलाया जाएगा, वह वहां जाएंगे। तालिबान से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि यह विदेश नीति का मामला है और भारत के विदेश मंत्री द्वारा तालिबान के विदेश मंत्री का स्वागत किया जा रहा है।
सपा अध्यक्ष का फेसबुक अकाउंट, जिसे एक दिन पहले फेसबुक ने बंद कर दिया था, अब फिर चालू हो गया है। अखिलेश ने कहा कि अकाउंट पर आपत्तिजनक शिकायतें की गई थीं, जिनमें बलिया में युवती के उत्पीड़न और पत्रकारों पर दबाव से संबंधित पोस्ट शामिल थीं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि इस कारण अकाउंट अस्थायी रूप से ब्लॉक किया गया था।
यह रणनीति सपा द्वारा चुनावी माहौल में अपने दलित समर्थन को मजबूत करने की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है।