भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को स्वैच्छिक न बताते हुए केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यह त्यागपत्र नहीं, बल्कि ‘पूंजीपतियों की सरकार’ द्वारा दिलवाया गया इस्तीफा है। टिकैत के अनुसार, उपराष्ट्रपति लगातार गांव, किसान और गरीब की बात करते रहे, जो मौजूदा सत्ता को स्वीकार नहीं था।
मंगलवार को अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में टिकैत ने सवाल उठाया कि अगर धनखड़ का इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों से होता, तो पहले कोई मेडिकल आधार सामने आता। उन्होंने कहा कि आज की सरकार कॉरपोरेट हितों के अनुकूल कार्य कर रही है और जो व्यक्ति आमजन की बात करता है, उसे सत्ता से बाहर कर दिया जाता है।
टिकैत ने कहा कि आज की राजनीति पर उद्योगपतियों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है और उन्होंने राजनीतिक दलों तथा व्यवस्था को अपनी पकड़ में ले लिया है। उन्होंने दावा किया कि उपराष्ट्रपति भी इसी सियासी जकड़न का शिकार हुए हैं।
भाजपा पर परोक्ष हमला बोलते हुए टिकैत ने कहा कि पार्टी के भीतर 50 साल से कम उम्र वालों को दुष्यंत चौटाला की तरह और उम्रदराज लोगों को सतपाल मलिक या जगदीप धनखड़ की तरह किनारे किया जा रहा है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इस बार सत्ता का ढोल किसी और दरवाजे पर बजेगा।