बढ़ता जलस्तर बना चिंता का कारण, झूंसी के कछारी गांवों में घुसा बाढ़ का पानी

केन, चंबल, बेतवा, गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे जिले में बाढ़ की स्थिति एक बार फिर गंभीर होने लगी है। प्रशासन ने एहतियात के तौर पर जिले की 95 बाढ़ चौकियों को बुधवार से सक्रिय कर दिया है, हालांकि अभी तक केवल एक गांव को आधिकारिक रूप से बाढ़ प्रभावित घोषित किया गया है। फिलहाल गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से लगभग दो मीटर नीचे है, लेकिन सतत वृद्धि को देखते हुए सभी आठ बैराज गेट बंद कर दिए गए हैं।

जिले की प्रमुख नदियों में गंगा, यमुना, टोंस, बेलन, वरुणा, मनसौता और ससुरखदेरी शामिल हैं। नगर क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए बक्शी, बेनी और यमुना बांधों का निर्माण किया गया है, जिनकी अधिकतम ऊंचाई 89.50 मीटर निर्धारित है—यह 1978 की विनाशकारी बाढ़ से भी अधिक है। निचले इलाकों में जल निकासी के लिए बलुआघाट, चाचरनाला, मम्फोर्डगंज, मोरी गेट और राजापुर जैसे स्थानों पर पंपिंग स्टेशन बनाए गए हैं। एडीएम विनीता सिंह ने बताया कि चिल्ला घाट पर जलस्तर 97.40 मीटर तक पहुंच गया है, जबकि खतरे का स्तर 99 मीटर है। आपात स्थिति में सामग्री आपूर्ति के लिए एक नाव तैनात की गई है।

झूंसी में दोबारा घुसा बाढ़ का पानी, गांवों का टूटा संपर्क

गंगा और यमुना के बढ़ते प्रवाह के चलते झूंसी क्षेत्र के करीब डेढ़ दर्जन कछारी गांवों में दो सप्ताह के भीतर दोबारा पानी भर गया है। मंगलवार तड़के बदरा-सोनौटी मार्ग पूरी तरह जलमग्न हो गया, जिससे इन गांवों का संपर्क मुख्य मार्ग से कट गया। कुछ ही घंटों में इस रास्ते से छोटे और बड़े वाहन गुजरना असंभव हो गया। बाढ़ के कारण इन गांवों में सैकड़ों बीघा धान की फसल भी बर्बाद हो गई।

प्रशासन को आशंका है कि बुधवार रात तक हालात और बिगड़ सकते हैं। प्राकृतिक आपदा ने किसानों की सालभर की मेहनत को नुकसान पहुंचाया है। प्रभावित गांवों में बदरा, सोनौटी, बहादुरपुर, गंजिया और ढोलबजवा प्रमुख हैं। राहत कार्य के तहत दोपहर बाद प्रशासन ने चार छोटी नावें चालू करवाईं ताकि ग्रामीणों का आना-जाना संभव हो सके। नई और पुरानी झूंसी के इलाकों में भी बाढ़ का खौफ बना हुआ है।

बदरा मार्ग पर फंसा डीसीएम वाहन

मंगलवार की सुबह जब पानी ने बदरा-सोनौटी मार्ग को पूरी तरह ढक लिया, तब एक डीसीएम वाहन रास्ता पार करने की कोशिश में बीच में ही फंस गया। समय रहते राहत टीम ने स्थिति पर काबू पाया।

बाढ़ में डूबे महाकुंभ के घाट और एसटीपी

महाकुंभ के दौरान करोड़ों रुपये की लागत से बनाए गए स्नान घाट और एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) भी बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। छतनाग में निर्मित नया स्नान घाट और झूंसी के दो अन्य घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं।

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