राजधानी लखनऊ में सोमवार को जबरन धर्मांतरण का शिकार हुई कई पीड़ित महिलाओं ने सामने आकर अपनी आपबीती साझा की। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में लौटने के बाद उन्हें धमकियां मिल रही हैं। विश्व हिंदू रक्षा परिषद (विहिरप) के कार्यालय, विशाल खंड, गोमती नगर में आयोजित प्रेस वार्ता में इन महिलाओं ने कहा कि धर्म में वापसी पर उन्हें डराया जा रहा है और जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के पक्ष में स्थानीय पुलिस भी उदासीन रवैया अपना रही है।
धमकियों में आतंकी नेटवर्क के संलिप्त होने का आरोप
विहिरप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय ने इस दौरान दावा किया कि जिन लोगों की घर वापसी कराई गई है, उन्हें धमकाने वाले छांगुर के जिहादी नेटवर्क से जुड़े हैं। राय के मुताबिक, बीते सप्ताह परिषद की सहायता से कई महिलाओं ने फिर से हिंदू धर्म अपनाया था, जिसके बाद इन महिलाओं और कार्यकर्ताओं को जान से मारने तक की धमकियां दी जा रही हैं।
छांगुर की गिरफ्तारी से नेटवर्क में मची खलबली
बताया गया कि उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा जबरन धर्मांतरण और देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में छांगुर को गिरफ्तार किया गया था। राय का आरोप है कि उसकी गिरफ्तारी के बाद उसका नेटवर्क सक्रिय हो गया है और घर वापसी करने वालों को टारगेट किया जा रहा है।
सुरक्षा हटाने और शिकायत न दर्ज करने पर नाराजगी
गोपाल राय ने कहा कि उन पर दो बार जानलेवा हमले हो चुके हैं — एक बार वाराणसी में और दूसरी बार जम्मू-कश्मीर में, लेकिन इसके बावजूद उनकी सरकारी सुरक्षा हटा ली गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ पुलिस अधिकारियों की ‘हिंदू विरोधी मानसिकता’ इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात का समय मांगा है ताकि सुरक्षा बहाल कराई जा सके।
राय ने यह भी बताया कि धमकी मिलने पर वे गोमती नगर थाने में शिकायत दर्ज कराने गए थे, लेकिन पुलिस ने शिकायत लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब एक राष्ट्रवादी संगठन का प्रमुख ही असुरक्षित महसूस कर रहा है, तो आम जनता की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है? उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उन्हें या उनके साथियों को कुछ हुआ तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह प्रशासन की होगी।