कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रीय मंत्री अब्दुल मन्नान का सोमवार को 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया। लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे मन्नान को उनकी साफगोई और प्रभावशाली संवाद क्षमता के लिए पार्टी में सक्रिय और सम्मानित नेता माना जाता था। देर शाम उनका पार्थिव शरीर सुपुर्दे खाक कर दिया गया। वे अपने पीछे दो बेटे और दो बेटियों सहित परिवार छोड़ गए।

राजनीति में जीवनभर सक्रिय रहने वाले मन्नान के परिवार के अन्य सदस्य राजनीति से दूर रहे। कांग्रेस ने उन्हें 2002 से 2012 के बीच तीन बार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया। पहली दो बार उन्होंने जनरलगंज सीट से चुनाव लड़ा, जबकि तीसरी बार कैंट से पार्टी का टिकट मिला। हालांकि, उन्हें जीत नहीं मिली, लेकिन संगठन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही।

मन्नान 1997 से 2006 तक कांग्रेस महानगर इकाई के अध्यक्ष रहे और 2007 में उन्हें कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 2008 में वे मुख्य इकाई के प्रदेश उपाध्यक्ष बने और 2009 में राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हुए।

उनके निधन पर कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया। राष्ट्रीय महामंत्री अविनाश पांडेय और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय उनके निवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की।