लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को आरोप लगाया कि प्रदेश की भाजपा सरकार लोकतांत्रिक परंपराओं को रौंद रही है। उन्होंने कहा कि बरेली की घटना के सिलसिले में भेजे गए सपा प्रतिनिधिमंडल को पुलिस ने जगह-जगह रोक दिया, जो सरकार की विफलता और तानाशाही रवैये को दर्शाता है।
अखिलेश यादव ने कहा कि सपा सांसद रामजी लाल सुमन के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल को बरेली जाना था, ताकि डीआईजी और कमिश्नर से मुलाकात कर शांति बहाली के प्रयास किए जा सकें। लेकिन प्रशासन ने धारा-144 का हवाला देते हुए प्रतिनिधिमंडल को आगे बढ़ने से रोक दिया।
घर से निकलने पर भी पाबंदी
नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने बताया कि अखिलेश यादव के निर्देश पर गठित 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शनिवार को बरेली रवाना होना था, लेकिन इससे पहले ही पुलिस बल उनके घर के बाहर तैनात कर दिया गया। उन्हें सूचना दी गई कि बाहर निकलने की अनुमति नहीं है। जिलाधिकारी का पत्र भी मिला, जिसमें कहा गया कि उनके जाने से हालात बिगड़ सकते हैं।
सपा नेताओं ने साधा निशाना
प्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसद हरेंद्र मलिक, इकरा हसन, जियाउर्रहमान बर्क, मोहिब्बुल्लाह नदवी, नीरज मौर्य, पूर्व सांसद वीरपाल सिंह यादव, प्रवीण सिंह ऐरन, बरेली जिला अध्यक्ष शिवचरन कश्यप, महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी, विधायक शहजिल इस्लाम अंसारी, पूर्व मंत्री भगवत शरण गंगवार और प्रदेश सचिव शुभलेश यादव को भी अलग-अलग स्थानों पर पुलिस ने रोक दिया।
नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि प्रशासन बरेली की घटनाओं की सच्चाई जनता तक पहुंचने से रोकना चाहता है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस की कार्रवाई के चलते ही माहौल बिगड़ा है और स्थानीय लोगों पर अन्याय हो रहा है। "मुकदमा एक व्यक्ति पर दर्ज किया जाता है, लेकिन गिरफ्तारी कई लोगों की होती है। कहीं घर तोड़े जाने की तैयारी है और एक समुदाय में भय का माहौल बना हुआ है," उन्होंने कहा।
सपा विधायक अताउर्रहमान ने भी कहा कि प्रतिनिधिमंडल को रोकने के लिए कई थानों की पुलिस तैनात की गई, जो प्रशासन के असंवेदनशील रवैये को दिखाता है।