राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का 26वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से हुई, जिनकी प्रतिभा ने उपस्थित जनों का दिल जीत लिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में देखने की परंपरा का पालन करता आया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में दुनिया की कई समस्याओं की जड़ देशों के बीच संवाद की कमी है, और यह सम्मेलन संवाद की उसी कमी को दूर करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। उन्होंने याद दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र ने कुछ वर्ष पहले जो 16 वैश्विक लक्ष्य निर्धारित किए थे, उनमें शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
'शिक्षा बच्चों पर बोझ नहीं बननी चाहिए'
सीएम ने कहा कि आज दुनिया के कई हिस्सों में युद्ध, तनाव और अराजकता का माहौल है। ऐसे समय में शिक्षा, विकास और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर विमर्श अक्सर पीछे छूट जाते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जो बच्चों को बोझिल न करे, बल्कि उन्हें आगे बढ़ने के अवसर दे।
साइबर अपराध और जलवायु संकट पर गंभीर चर्चा की जरूरत
साइबर क्राइम, डेटा चोरी और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह चुनौतियां वैश्विक स्तर पर नई किस्म की समस्याएं पैदा कर रही हैं। ऐसी परिस्थितियों में न्याय, नैतिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय कानून की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
'वैश्विक आतंकवाद पर बोलने में हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए'
सीएम योगी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 80 वर्ष पहले एक अधिक न्यायपूर्ण और जवाबदेह वैश्विक व्यवस्था की बात कही थी। आज जब दुनिया नई चुनौतियों से जूझ रही है, तब यूएन जैसे मंचों पर साइबर सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और वैश्विक आतंकवाद जैसे मुद्दों पर खुलकर बात करने की जरूरत है।
उन्होंने भारतीय दर्शन का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारी परंपरा में पंचतत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश की रक्षा को सर्वोच्च महत्व दिया गया है। विश्व कल्याण के लिए इन मूल्यों का सम्मान आवश्यक है।
अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में दुनिया के कई देशों के न्यायविद एकत्र हुए हैं। ऐसे में न्याय कैसे मानवता की समस्याओं का समाधान बन सकता है, इस पर गंभीर विमर्श की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था केवल समानता का आधार ही नहीं, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और बेहतर भविष्य की नींव भी बननी चाहिए।