उत्तर प्रदेश। हाइब्रिड वाहनों से अपेक्षित से अधिक प्रदूषण फैलने के कारण राज्य सरकार ने इन वाहनों पर मिलने वाली सब्सिडी को समाप्त कर दिया है। पिछले एक वर्ष में हाइब्रिड कारों की बिक्री 20,568 तक पहुंच गई थी, जबकि चार पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की बिक्री केवल 14,375 रही थी। सब्सिडी की वजह से हाइब्रिड कारों ने बाजार में 59 फीसदी हिस्सेदारी हासिल कर ली थी, जबकि EV का हिस्सा मात्र 41 फीसदी था।

सरकार ने कहा है कि यह कदम शून्य कार्बन उत्सर्जन वाहनों के बढ़ावे और EV की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए उठाया गया है। उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि स्ट्रांग हाइब्रिड और प्लग-इन हाइब्रिड जैसी तकनीकों को अब प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा। आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट के अनुसार, EV हाइब्रिड कारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं और 70 प्रतिशत तक कम प्रदूषण फैलाते हैं।

हाइब्रिड कारें क्या हैं?
स्ट्रांग हाइब्रिड कारें पेट्रोल इंजन और बैटरी दोनों से चलती हैं, और बैटरी इंजन द्वारा चार्ज होती है। प्लग-इन हाइब्रिड में बड़ी बैटरी होती है, जिसे अलग से चार्ज किया जाता है और यह सीमित दूरी तक केवल इलेक्ट्रिक मोड पर चल सकती है।

इस फैसले से पहले हरियाणा, राजस्थान और चंडीगढ़ में हाइब्रिड वाहनों को 25-50 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही थी। उत्तर प्रदेश में इन वाहनों पर पंजीकरण शुल्क और रोड टैक्स में 100 फीसदी छूट दी गई थी, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है।

सरकार का मानना है कि इस कदम से इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में वृद्धि होगी और राज्य में प्रदूषण नियंत्रण के लक्ष्य को साकार करने में मदद मिलेगी।