नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की जूनियर इंजीनियर (JE) भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्णय को बरकरार रखा है, जिसमें बीटेक डिग्रीधारकों को जेई भर्ती प्रक्रिया से बाहर रखने को सही ठहराया गया था। इस फैसले के बाद अब बीटेक अभ्यर्थी जूनियर इंजीनियर पदों के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने दी हाईकोर्ट के फैसले को मंजूरी
जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि डिप्लोमा और डिग्री दो भिन्न शैक्षणिक योग्यताएं हैं, और किसी भी स्थिति में डिग्री को डिप्लोमा का “उच्च संस्करण” नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने बीटेक अभ्यर्थियों की उस दलील को अस्वीकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि उच्च योग्यता होने के कारण उन्हें भी आवेदन का अवसर मिलना चाहिए।
हाईकोर्ट में भी खारिज हो चुकी थी याचिका
दरअसल, आयोग ने जेई भर्ती के लिए मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा धारकों को ही पात्रता दी थी। इससे बीटेक डिग्रीधारक अभ्यर्थी आवेदन से वंचित हो गए थे। उन्होंने इस नियम को असंवैधानिक बताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने नवंबर 2019 में दिए अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि जब भर्ती नियम में डिप्लोमा योग्यता निर्धारित की गई है, तो डिग्रीधारकों को पात्र नहीं माना जा सकता।
किन विभागों में होनी थी भर्तियां
लोक सेवा आयोग की यह भर्ती प्रक्रिया सिंचाई, लघु सिंचाई और भू-जल विभागों के जूनियर इंजीनियर (मैकेनिकल) पदों के लिए थी। हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर बीटेक अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, लेकिन अब शीर्ष अदालत ने भी हाईकोर्ट के निर्णय पर अपनी मुहर लगा दी है।
बीटेक युवाओं को बड़ा झटका
इस फैसले के बाद हजारों बीटेक डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को बड़ा झटका लगा है, जो लंबे समय से जेई भर्ती की तैयारी कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से स्पष्ट हो गया है कि डिप्लोमा और डिग्री धारकों के लिए नियुक्तियों में अलग-अलग मानदंड ही लागू रहेंगे।