कानपुर में रेलवे के चीफ ऑफिस सुप्रिटेंडेंट के पद पर कार्यरत लक्ष्मी नारायण प्रसाद का शव मंगलवार को नौबस्ता क्षेत्र में एक नाले से बरामद हुआ। वे बीते 5 जुलाई को घर से कार्यालय के लिए निकले थे, लेकिन ऑफिस नहीं पहुंचे और तभी से लापता थे। परिजनों द्वारा काफी खोजबीन के बाद भी उनका पता न चलने पर मामला नौबस्ता थाने में दर्ज कराया गया था।
रोज की तरह निकले थे घर से
परिवार के अनुसार, लक्ष्मी नारायण 5 जुलाई की सुबह रोजाना की तरह करीब 9:30 बजे घर से यह कहकर निकले थे कि वे कार्यालय जा रहे हैं। हालांकि, जब कार्यालय से करीब 11 बजे परिजनों को फोन आया और बताया गया कि वे वहां नहीं पहुंचे हैं, तब जाकर उनकी गुमशुदगी का पता चला।
इसके बाद परिजनों ने उनके दोस्तों और रिश्तेदारों से संपर्क किया, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। उनका मोबाइल फोन भी उसी दिन से बंद था, जिससे चिंता और बढ़ गई।
शव मिलने के बाद मचा हड़कंप
तीन दिन बाद मंगलवार को लक्ष्मी नारायण का शव नौबस्ता के पास एक नाले में स्थानीय लोगों को दिखाई दिया, जिसके बाद पुलिस को सूचित किया गया। शव की हालत खराब हो चुकी थी और पहचान मुश्किल हो रही थी। फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
डेढ़ साल में होना था रिटायरमेंट
62 वर्षीय लक्ष्मी नारायण प्रसाद रेलवे में चीफ ऑफिस सुप्रिटेंडेंट के पद पर तैनात थे और उनकी सेवानिवृत्ति में मात्र डेढ़ वर्ष का समय शेष था। दिव्यांग होने के बावजूद वे नियमित रूप से कार्य पर जाते थे। अचानक इस तरह लापता होकर उनकी मृत्यु हो जाना परिजनों के लिए गहरा सदमा है।
जांच की मांग
रेलवे कर्मचारी संघ के नेता विक्रम सिंह ने इस घटना पर दुख जताते हुए प्रशासन से त्वरित जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और यह पता लगाया जाना चाहिए कि अधिकारी की मृत्यु किन परिस्थितियों में हुई।