अयोध्या के भव्य राम मंदिर में मंगलवार को ऐतिहासिक ध्वजारोहण समारोह संपन्न हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अभिजीत मुहूर्त में मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज फहराया। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने ध्वज को नमन किया, वहीं पूरे परिसर में देशभर से आए श्रद्धालु और गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि यह क्षण करोड़ों भारतीयों की आस्था और प्रतीक्षा का संकल्प-पूर्ति है। उन्होंने कहा, “आज पूरा भारत और विश्व राममय है। सदियों से चले आ रहे घाव भर रहे हैं और सदियों की पीड़ा का अंत हो रहा है। पांच सौ वर्षों तक आस्था और विश्वास की लौ एक पल भी मंद नहीं पड़ी—आज उसी यज्ञ की पूर्णाहुति हुई है।”
#WATCH | Ayodhya Dhwajarohan | PM Modi says, "... The greatest misfortune is that Macaulay's impact was widespread. We got independence, but we were not free from the inferiority complex. A thought was instilled that everything from abroad is good and our own things are full of… pic.twitter.com/uOs4bdnfsI
— ANI (@ANI) November 25, 2025
#WATCH | Ayodhya Dhwajarohan | PM Modi says, "... The greatest misfortune is that Macaulay's impact was widespread. We got independence, but we were not free from the inferiority complex. A thought was instilled that everything from abroad is good and our own things are full of… pic.twitter.com/uOs4bdnfsI
— ANI (@ANI) November 25, 2025“धर्म ध्वज भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक”
प्रधानमंत्री ने कहा कि मंदिर के गर्भगृह से प्रसारित ऊर्जा और फहराया गया धर्म ध्वज केवल प्रतीक नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के नए उदय का संदेश है। उन्होंने कहा, “भगवा रंग त्याग, सत्य और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। यह ध्वज संघर्ष से सृजन तक की यात्रा का जीवंत स्वरूप है, सदियों के तप और जनता की भागीदारी का परिणाम है। आने वाली पीढ़ियों तक यह आदर्शों की ज्योति को प्रज्ज्वलित करता रहेगा।”
“लोकतंत्र हमारी मिट्टी की उपज, बाहरी नहीं”
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लंबे समय तक विदेशी प्रभाव ने देश में हीन भावना पैदा की। उन्होंने कहा, “हमें स्वतंत्रता तो मिल गई, लेकिन मानसिक रूप से हम पराई सोच से मुक्त नहीं हो पाए। लोकतंत्र को भी हमने विदेशी विचार समझ लिया, जबकि भारत लोकतंत्र की जन्मभूमि है। लोकतांत्रिक परंपरा हमारे DNA में है।”
“गुलामी की सोच ने राम को काल्पनिक कहने पर मजबूर किया”
पीएम मोदी ने कहा कि औपनिवेशिक मानसिकता ने भारतीय परंपराओं पर संदेह पैदा किया और भगवान राम को काल्पनिक बताने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “यह सोच हमारे प्रशासन और व्यवस्था में गहराई तक बैठ गई थी। हमने नौसेना के झंडे से गुलामी के प्रतीकों को हटाकर शिवाजी महाराज की गौरवशाली विरासत को स्थापित किया। यह परिवर्तन केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि मानसिक आज़ादी का संकेत था। आने वाले दशक में देश इस मानसिक दासता से पूरी तरह मुक्त हो सकता है।”
“अयोध्या वह भूमि जहां आदर्श जीवन में उतरते हैं”
प्रधानमंत्री ने कहा कि अयोध्या वह धरती है जहां मूल्य और मर्यादा व्यवहार में बदलते हैं। “युवराज राम इसी भूमि से निकले और लोकनायक के रूप में लौटे। विकसित भारत के लिए समाज की वही सामूहिक शक्ति आवश्यक है। राम मंदिर का यह दिव्य परिसर भारत की नई चेतना का केंद्र बन रहा है।”