अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर मंगलवार को कोविदार ध्वज फहराया जाएगा, जिसे मंदिर ट्रस्ट ने अयोध्या के गौरव और प्राचीन इतिहास की याद दिलाने के लिए चुना है। यह ध्वज वाल्मीकि रामायण में वर्णित अयोध्या की पहचान का प्रतीक माना जाता रहा है और अब रामभक्तों को इसके दर्शन से त्रेता युग की अनुभूति होगी।
कोविदार ध्वज और उस पर अंकित कोविदार वृक्ष सनातन संस्कृति का अमूल्य प्रतीक हैं। वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में इसका उल्लेख मिलता है। कथा अनुसार, चित्रकूट वनवास के दौरान भगवान राम ने लक्ष्मण को ध्वजों और रथों से आती सेना की सूचना दी। लक्ष्मण ने कहा, “यह कोविदार युक्त विशाल ध्वज उस रथ पर फहरा रहा है,” जिससे स्पष्ट होता है कि यह ध्वज अयोध्या की प्राचीन धरोहर और रघुकुल का राज ध्वज रहा है।
हालांकि, समय के साथ यह राज ध्वज भारतीय मानस पटल से लगभग लुप्त हो गया था। रीवा के इतिहासकार ललित मिश्रा ने शोध के बाद इसे पुनः खोजा और राम मंदिर ट्रस्ट ने इसे मंदिर के शिखर पर फहराने का निर्णय लिया।
मंदिर परिसर में कोविदार वृक्ष भी लगाए गए हैं, जो अब लगभग आठ से 10 फुट ऊंचे हो चुके हैं। ध्वजारोहण के साथ ही श्रद्धालुओं को इन वृक्षों और ध्वज के दर्शन का अवसर मिलेगा, जो अयोध्या के प्राचीन गौरव की याद दिलाएंगे।
शोध के अनुसार कोविदार पहला हाइब्रिड पौधा था, जिसे महर्षि कश्यप ने पारिजात और मंदार के गुण मिलाकर तैयार किया। यह 15 से 25 मीटर ऊंचा होता है, इसमें बैगनी रंग के फूल खिलते हैं और फल स्वादिष्ट तथा पौष्टिक होता है। राम मंदिर में इस ध्वज का पुनः महत्व मिलने से यह प्रतीक नए युग की शुरुआत का संदेश देगा।