कानपुर: आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े मामले में डॉ. शाहीन और उनके सहयोगियों की जांच लगातार तेज है। जांच में अब तक उनके बैंक खातों से बीते सात वर्षों में लगभग 1.55 करोड़ रुपये के लेन-देन का खुलासा हुआ है। एजेंसियां इस धनराशि के स्रोत और उपयोग के सभी पहलुओं की पड़ताल कर रही हैं।
जांच में पता चला कि डॉ. शाहीन के सात बैंक खाते हैं, जिनमें से तीन कानपुर, दो लखनऊ और एक दिल्ली में स्थित हैं। खातों में 2014 से 2017 तक लाखों रुपये के बड़े ट्रांजैक्शन दर्ज हैं। डॉ. आरिफ के भी तीन बैंक खाते सामने आए हैं, जिनकी भी जांच की जा रही है।
एजेंसियां शहर में सक्रिय ‘स्लीपर सेल’ का पता लगाने में जुटी हैं। उनका मानना है कि युवाओं को पहले धर्म के नाम पर प्रभावित कर आतंकी नेटवर्क से जोड़ा जाता है। इसी कारण संदिग्धों के सिम कार्ड की खरीद-फरोख्त पर भी निगरानी रखी जा रही है। 10 नवंबर के बाद खरीदे गए सिमों की डिटेल इकट्ठा कर सत्यापन किया जा रहा है।
डॉ. शाहीन की पत्नी की कथित गतिविधियों से बच्चों को दूर रखने का प्रयास किया जा रहा है। उनके 18 और 15 वर्षीय बेटे को सोशल मीडिया, टीवी और स्कूल से दूर रखा जा रहा है। बच्चों के पिता, डॉ. जफर हयात ने बताया कि इस घटना का असर परिवार पर बहुत गहरा पड़ा है।
इस बीच कानपुर देहात में तैनात डॉ. हामिद अंसारी की भी जांच तेज हो गई है। वह 2013 से तीन साल तक गुमनामी में थे और 2016 में अचानक जॉइन किए। इसी तरह डॉ. निसार अहमद और डॉ. हिफजुल रहमान ने भी बिना सूचना दिए मेडिकल कॉलेज छोड़ दिया था।
जांच में यह भी सामने आया है कि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में पिछले कुछ वर्षों में 20-25 डॉक्टर बिना जानकारी के विदेश चले गए। अब छात्रों और फैकल्टी के लिए सुरक्षा नियम कड़े कर दिए गए हैं। फेस बायोमेट्रिक से प्रवेश सुनिश्चित किया जा रहा है, मोबाइल और ब्लूटूथ पर प्रतिबंध लगाया गया है, और परीक्षा के दौरान हिजाब पर भी रोक है।
जांच एजेंसियां मेडिकल कॉलेज से लिखित में स्टाफ और पूर्व कर्मचारियों का पूरा विवरण मांग रही हैं। इस जानकारी से अब तक की जांच को और व्यापक बनाने और संभावित आतंकवादी लिंक को पकड़ने में मदद मिलने की उम्मीद है।