वृंदावन। धनतेरस के अवसर पर 54 वर्षों बाद वृंदावन के श्री बांकेबिहारी मंदिर का तोषखाना खोला गया, लेकिन उम्मीद के विपरीत इसमें कोई बेशकीमती वस्तु नहीं मिली। केवल पीतल के बर्तन, लकड़ी के सामान और आभूषणों के खाली बॉक्स ही सामने आए। इस खुलासे ने मंदिर प्रशासन और सेवायतों में हड़कंप मचा दिया है।
हाईपावर्ड कमेटी के सदस्य और सेवायत दिनेश गोस्वामी ने बताया कि जब तोषखाने के ताले काटकर खोले गए, तो पहले गैस और मलबे की सफाई करनी पड़ी। अंदर दो सांप निकलने के कारण टीम को थोड़ी देर के लिए पीछे हटना पड़ा, जिसे वन विभाग की टीम ने पकड़ लिया। जांच के दौरान दिल्ली से आए चार्टर्ड अकाउंटेंट ने सभी सामान की सूची बनाई।
तोषखाने में खाली संदूक और आभूषणों के खाली बॉक्स मिलने पर कमेटी सदस्यों ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। दिनेश गोस्वामी ने कहा कि सवाल यह उठता है कि इतने वर्षों में सारी चीजें कहां चली गईं। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि तोषखाने में पहले 1926 और 1936 में चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं।
एडीएम प्रशासन पंकज कुमार ने बताया कि फिलहाल कोई कीमती वस्तु नहीं मिली है और जरूरत पड़ने पर कोर्ट के आदेश से तोषखाना फिर से खोला जा सकता है। मंदिर की हाईपावर्ड कमेटी ने इस खुलासे को लेकर आगामी मीटिंग में इस मामले की गंभीरता से समीक्षा करने का निर्णय लिया है।
इस घटना ने न केवल मंदिर प्रशासन, बल्कि श्रद्धालुओं और स्थानीय जनता के बीच भी चर्चाओं का विषय बना दिया है, क्योंकि लंबे समय से बंद पड़े तोषखाने में हीरे और जवाहरात होने की उम्मीद थी।