प्रदेश में धनतेरस, दिवाली, भैयादूज और छठ पूजा के अवसर पर राज्यवासियों को 24 घंटे कटौती मुक्त विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। इस संदर्भ में ऊर्जा विभाग के सभी प्रबंध निदेशकों और अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। पॉवर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि पूरे प्रदेश में विद्युत आपूर्ति पर निगरानी रखी जाए और किसी भी अप्रत्याशित ब्रेकडाउन की स्थिति में पर्याप्त मरम्मत टीम तत्पर रहें।

डॉ. गोयल ने कहा कि 14 अक्टूबर से प्रदेश के सभी हिस्सों में लगातार विद्युत आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा, डिस्कॉम स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं, जहां से सप्लाई की निगरानी होगी।

स्मार्ट मीटर विवाद
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमतों को लेकर निर्देश दिए हैं कि उपभोक्ताओं पर कोई आर्थिक बोझ न डाला जाए। उन्होंने कहा कि अब तक 40 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर सफलतापूर्वक लगाए जा चुके हैं। इन मीटरों से विद्युत कर्मियों की मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता कम होगी, जिससे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की संभावनाएं घटेंगी और उपभोक्ता संतुष्टि बढ़ेगी।

हालांकि, उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि प्रदेश में स्मार्ट मीटर के नाम पर बड़े पैमाने पर अतिरिक्त खर्च किया जा रहा है। महाराष्ट्र में मीटर की कीमत केवल 2,610 रुपये है, जबकि उत्तर प्रदेश में 6,016 रुपये ली जा रही है। उन्होंने मांग की कि मामले की सीबीआई या किसी उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच कराई जाए।

विद्युत कर्मियों का विरोध
राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने स्पष्ट किया है कि निजीकरण किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। संघ ने चेतावनी दी कि अगर निजीकरण की प्रक्रिया जारी रही, तो अभियंता सामूहिक विरोध और जेल भरो आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। इससे पहले 16 सितंबर को हुई बैठक में केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को वितरण निगमों के संचालन के लिए तीन विकल्प दिए थे। इसमें से किसी का पालन न करने पर केंद्र सरकार की ग्रांट रोकने की बात कही गई, जिससे कर्मचारियों में असंतोष बढ़ा है।

डॉ. गोयल और अभियंता संघ के बीच शुक्रवार को हुई वार्ता में यह भी मांग की गई कि विभिन्न निगमों में पद उपभोक्ताओं की संख्या के अनुसार बनाए जाएं और कर्मचारियों को रियायती बिजली की सुविधा दी जाए।