यूपी: प्रदेश की 75 छोटी नदियों को फिर से पुनर्जीवित करेगी सरकार

उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की 75 सहायक व लुप्तप्राय नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास कर रही है। इसके लिए सरकार ने प्रमुख तकनीकी संस्थानों और दस विभागों की भागीदारी के साथ एक समन्वित योजना तैयार की है। परियोजना की निगरानी मंडल स्तर पर गठित समितियों के माध्यम से की जा रही है।

सरकार इस नदी पुनर्जीवन योजना में आईआईटी कानपुर, बीएचयू, बीबीएयू लखनऊ और आईआईटी रुड़की जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का तकनीकी सहयोग ले रही है। ये संस्थान प्रत्येक नदी की भौगोलिक संरचना, पारिस्थितिकी और सामाजिक पहलुओं का अध्ययन कर उनके पुनरुद्धार की कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं।

मास्टरप्लान के तहत इस अभियान को जमीनी स्तर पर उतारने के लिए सिंचाई, लघु सिंचाई, पंचायती राज, वन, उद्यान, खाद्य प्रसंस्करण, मत्स्य, शहरी विकास, जल संसाधन एजेंसी, ग्रामीण विकास और राजस्व विभाग मिलकर कार्य कर रहे हैं।

प्रदेश के ऐतिहासिक किलों और भवनों का होगा कायाकल्प, पर्यटन को मिलेगा नया आधार

राज्य सरकार ने प्रदेश की विरासत संरचनाओं को पुनर्जीवित कर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजना बनाई है। इसके अंतर्गत पर्यटन विभाग ने 11 ऐतिहासिक किलों और भवनों के विकास के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर कार्य करने हेतु एजेंसियों से प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं।

इन स्थलों के मूल स्वरूप को सुरक्षित रखते हुए उन्हें बहाल किया जाएगा और तय अवधि तक निजी एजेंसियां इनका संचालन करेंगी। इस प्रयास से न केवल ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित किया जा सकेगा, बल्कि स्थानीय पर्यटन को भी गति मिलेगी। साथ ही, यह योजना रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगी।

जिन 11 विरासत स्थलों का चयन किया गया है, उनमें शामिल हैं:

  • तालबेहट किला (ललितपुर)
  • रनगढ़ व भुरागढ़ किला (बांदा)
  • वजीरगंज बारादरी (गोंडा)
  • आलमबाग भवन, गुलिस्तान-ए-एरम, दर्शन विलास (लखनऊ)
  • टिकैत राय बारादरी (कानपुर)
  • मस्तानी महल व सेनापति महल (महोबा)
  • तहरौली किला (झांसी)
  • सीताराम महल/कोटवान किला (मथुरा)

इन सभी स्थानों को होटल, सांस्कृतिक केंद्र या संग्रहालय के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे इनकी ऐतिहासिक महत्ता बनी रहे और आम जन भी इनसे जुड़ सके।

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