लखनऊ। प्रदेश में विधानमंडल के शीतकालीन सत्र की तैयारियां तेज हो गई हैं। सत्र 15 दिसंबर से शुरू होने की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि इस बार भी सत्र की अवधि छोटी ही रहेगी, क्योंकि पिछले वर्ष की तरह इस बार भी सरकार सीमित कार्यसूची के साथ आगे बढ़ सकती है।

सूत्र बताते हैं कि सरकार अगले वर्ष होने वाले पंचायत चुनावों को ध्यान में रखते हुए इस सत्र में अनुपूरक बजट लाने की योजना बना रही है। बजट में ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाओं को प्राथमिकता देने के संकेत हैं। पेयजल, आवास, सड़क और आधारभूत ढांचे से जुड़े कार्यों के लिए अतिरिक्त धनराशि प्रस्तावित की जा सकती है। साथ ही पंचायत स्तर पर रोजगार बढ़ाने, महिला स्वयं सहायता समूहों को मजबूती देने और डिजिटल शासन व्यवस्था को बढ़ावा देने वाली परियोजनाएं भी शामिल हो सकती हैं। सरकार का लक्ष्य ग्रामीण मतदाताओं के बीच विकास का संदेश और मजबूत करना है।

अगस्त में हुआ था मानसून सत्र
अगस्त में हुए मानसून सत्र के बाद से सरकार अब तक आठ अध्यादेश लागू कर चुकी है। इनमें पेंशन हकदारी, निजी विश्वविद्यालयों में संशोधन, नगर निगम सुधार, सुगम्य व्यापार से जुड़े बदलाव, शिक्षा सेवा चयन आयोग और दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम में संशोधन से जुड़े अध्यादेश शामिल हैं। अनुमान है कि इन सभी अध्यादेशों को विधेयक के रूप में सदन में पेश किया जाएगा। इसके अलावा कुछ अन्य विधेयक और संकल्प भी एजेंडा में रह सकते हैं।

सत्र का पहला दिन परंपरा के अनुरूप दिवंगत घोसी विधायक सुधाकर सिंह को श्रद्धांजलि देने के बाद स्थगित होने की संभावना है।

संभल हिंसा की रिपोर्ट भी आ सकती है सदन में
सूत्रों के मुताबिक, सरकार नवंबर 2024 में संभल में हुई हिंसा की न्यायिक जांच रिपोर्ट भी इसी सत्र में प्रस्तुत कर सकती है। यह रिपोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा के नेतृत्व में गठित तीन सदस्यीय आयोग ने कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री को सौंप दी थी।