उत्तर प्रदेश सरकार ने दवाओं और सिरप की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। अब औषधि निरीक्षक न केवल तैयार दवाओं बल्कि उनके निर्माण में इस्तेमाल होने वाले रसायनों और सक्रिय घटकों (एक्टिव इंग्रेडिएंट) की भी जांच कर सकेंगे। इसके अलावा, मिलावटी या नकली दवा मिलने पर औषधि निरीक्षक तत्काल संबंधित फर्म के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा सकेंगे।
यह व्यवस्था प्रदेश में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त डॉ. रोशन जैकब द्वारा जारी निर्देश के बाद लागू हुई है। उन्होंने सभी औषधि निरीक्षकों को लगातार निरीक्षण और जांच करने के आदेश दिए हैं।
मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद यूपी में अलर्ट जारी किया गया है। डॉ. जैकब ने निर्देश दिया है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न दिया जाए। मेडिकल स्टोर संचालक बिना डॉक्टर की पर्ची किसी भी सिरप की बिक्री नहीं करेंगे। नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
आयुक्त ने यह भी कहा कि औषधि निर्माण में सक्रिय अवयवों के साथ अन्य घटकों का इस्तेमाल भी होता है। यदि इनमें मिलावट होती है तो दवा हानिकारक हो सकती है। ऐसे में सिरप और अन्य दवाओं में इस्तेमाल रसायनों के नमूने लिए जाएंगे और उनका परीक्षण कराया जाएगा। निर्माणशालाओं का नियमित निरीक्षण होगा और उनके क्रय अभिलेखों की भी जांच की जाएगी।
डॉ. जैकब ने स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति या फर्म द्वारा मिलावटी दवा बनाने, नकली नाम या पते से दवा बेचने पर तुरंत रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। साथ ही, एक्सपायरी दवाओं की बिक्री पूरी तरह रोकी जाएगी।