उत्तर प्रदेश: ₹7.95 करोड़ छात्रवृत्ति घोटाले में रिटायर्ड पीसीएस अधिकारी गिरफ्तार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में बड़ा एक्शन लेते हुए आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW) ने समाज कल्याण विभाग के पूर्व निदेशक मिश्रीलाल पासवान को गिरफ्तार कर लिया है। उन पर रुड़की स्थित गुरु नानक एजुकेशन ट्रस्ट को अनियमित तरीके से छात्रवृत्ति राशि वितरित करने का आरोप है।

ईओडब्ल्यू ने यह गिरफ्तारी लखनऊ के महानगर क्षेत्र से की। 2010 से 2012 के बीच हुए इस घोटाले की यह पहली गिरफ्तारी है। मिश्रीलाल पासवान 2014 में पीसीएस अधिकारी के रूप में रिटायर हुए थे।

336 छात्रों को तय राशि से अधिक मिली छात्रवृत्ति

जांच में सामने आया कि निदेशालय में रहते हुए मिश्रीलाल पासवान और कुछ अन्य कर्मचारियों ने मिलकर गुरु नानक एजुकेशन ट्रस्ट के तत्कालीन ट्रस्टी के साथ सांठगांठ की। 336 छात्रों को निर्धारित राशि से कई गुना ज्यादा छात्रवृत्ति दी गई। इतना ही नहीं, कई नामों में फर्जी प्रवेश दिखाकर भी राशि प्राप्त की गई।

इस मामले में वर्ष 2019 में एसआईटी, लखनऊ में छह लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

नामजद अधिकारी और फर्जी दस्तावेज़

एफआईआर में तत्कालीन निदेशक मिश्रीलाल पासवान के साथ शिक्षा अनुभाग के सहायक धर्मेंद्र सिंह, अधीक्षक डीके गुप्ता (अब दिवंगत), योजना अधिकारी डॉ. मंजूश्री श्रीवास्तव और ट्रस्ट के ट्रस्टी गुरु सिमरन सिंह चड्ढा को आरोपी बनाया गया। जांच में खुलासा हुआ कि साल 2010-11 और 2011-12 के दौरान अनुसूचित जाति के छात्रों के नाम पर अनियमित छात्रवृत्ति वितरित की गई।

संबद्धता में भ्रम और 91 हजार की जगह 2.3 लाख रुपये तक बांटे

राज्यपाल सचिवालय द्वारा जारी एक पत्र में जिन शैक्षणिक वर्षों के लिए संस्थान को अस्थायी मान्यता दी गई थी, उसमें संस्थान का नाम हरमिश कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट दर्शाया गया था, जबकि वास्तविक धनराशि गुरु नानक ट्रस्ट को दी गई।

सामान्यतः PGDM कोर्स के लिए तय की गई ₹91,200 की छात्रवृत्ति के स्थान पर 2.30 लाख रुपये प्रति छात्र वितरित किए गए। आरोप है कि कुल मिलाकर 7.95 करोड़ रुपये की सरकारी राशि का दुरुपयोग फर्जी दस्तावेजों के जरिए किया गया।

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