वृंदावन: श्री बांकेबिहारी जी महाराज के मंदिर का लंबे समय से बंद पड़े तोशखाने का रहस्य 54 साल बाद इस धनतेरस पर खुलने जा रहा है। भक्तों, सेवायतों और अदालत के तमाम आग्रहों के बावजूद यह खजाना दशकों से बंद पड़ा था। अब हाई-पावर्ड मंदिर प्रबंधन कमेटी के आदेश पर एक टीम तोशखाने में प्रवेश कर चुकी है। वहीं, कुछ गोस्वामी यह मांग कर रहे हैं कि अंदर होने वाली प्रक्रिया को मंदिर के बाहर स्क्रीन पर लाइव दिखाया जाए।
इतिहास और चुनौतियां
तोशखाना अंतिम बार 1971 में तत्कालीन प्रबंध कमेटी अध्यक्ष प्यारेलाल गोयल के नेतृत्व में खोला गया था। उस समय खजाने का सामान सूचीबद्ध करके सील कर भुतेश्वर, मथुरा के स्टेट बैंक में जमा कराया गया। इसमें पन्ना निर्मित मयूराकृति हार, सोने-चांदी के सिक्के और भरतपुर, करौली, ग्वालियर आदि रियासतों द्वारा प्रदत्त दान-सेवा पत्र शामिल हैं। तोशखाना मंदिर के मुख्य दरवाजे से दाहिनी ओर, ठाकुरजी के सिंहासन के पास स्थित है।
टीम के लिए परेशानी का कारण यह है कि 54 साल से बंद रहने के कारण अंदर गैस जमा हो गई है।
अतीत में चोरी की घटनाएं
इतिहासकारों के अनुसार, ब्रिटिश शासनकाल में 1926 और 1936 में दो बार तोशखाने से चोरी हुई थी। इन घटनाओं के बाद चार लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी। चोरी के बाद गोस्वामी समाज ने मुख्य द्वार बंद कर दिया और सामान डालने के लिए एक छोटा मुहाना बनाया। 1971 में अदालत के आदेश पर तोशखाने को फिर से सील कर दिया गया। 2002 और 2004 में सेवायतों की मांग पर इसे खोलने के प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली।
धनतेरस पर तोशखाने का खुलना भक्तों और इतिहासकारों के लिए एक ऐतिहासिक पल होगा और मंदिर की समृद्ध विरासत में नया अध्याय जोड़ेगा।