उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने परिवारों को बड़ी राहत देते हुए संपत्ति के बंटवारे में दस्तावेजों पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क की सीमा पांच हजार रुपये तय करने को मंजूरी दे दी है। राज्य सरकार ने बताया कि इससे पहले संपत्ति बंटवारे पर संपत्ति के मूल्य के आधार पर चार प्रतिशत स्टाम्प शुल्क और एक प्रतिशत पंजीकरण शुल्क लिया जाता था, जिससे परिवार दस्तावेज दर्ज कराने में हिचकते थे और दीवानी व राजस्व अदालतों में मामले बढ़ जाते थे।
सरकार का कहना है कि नए नियम से मुकदमेबाजी में कमी, सौहार्दपूर्ण समाधान, भूमि और राजस्व रिकॉर्ड अपडेट और बाजार में संपत्तियों की उपलब्धता आसान होगी। हालांकि शुरुआत में स्टाम्प शुल्क में 5.58 करोड़ रुपये और पंजीकरण शुल्क में 80.67 लाख रुपये का राजस्व घट सकता है, लेकिन बढ़ती पंजीकरण संख्या इस नुकसान की भरपाई करेगी और समय के साथ राजस्व में वृद्धि होगी। सरकार ने बताया कि तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पहले से ऐसी ही व्यवस्थाएं लागू हैं।
योगी कैबिनेट ने दी निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025-30 को मंजूरी
उत्तर प्रदेश को वैश्विक स्तर पर निर्यात हब बनाने की दिशा में योगी कैबिनेट ने निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025-30 को मंजूरी दे दी है। नई नीति में 2020-25 की निर्यात नीति में सुधार करते हुए डिजिटल तकनीकी, अवसंरचना विकास, वित्तीय सहायता, निर्यात ऋण एवं बीमा, बाजार विस्तार, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर विशेष जोर दिया गया है।
सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक पंजीकृत निर्यातकों की संख्या में 50 प्रतिशत वृद्धि हो और सभी जिलों को निर्यात गतिविधियों से जोड़कर क्षेत्रीय संतुलन सुनिश्चित किया जाए। नीति के माध्यम से उत्तर प्रदेश का निर्यात न केवल गुणवत्ता में बढ़ेगा बल्कि प्रदेश को एक सशक्त ग्लोबल एक्सपोर्ट हब के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।