उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में वर्ष 2001 से नियुक्त विषय विशेषज्ञों को पुरानी पेंशन देने पर सरकार विचार करेगी। यह मामला विधान परिषद में शिक्षक दल के सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने नियम 105 के तहत उठाया था। इस पर माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने परिषद सदस्यों और अधिकारियों के साथ चर्चा कर इसे मानक के आधार पर जांचने का भरोसा दिया।
ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले में मनमानी कर रहे हैं। वर्ष 2001 में नियुक्त इन विषय विशेषज्ञों के लिए 2003 में हाईकोर्ट ने समायोजन का आदेश दिया था। 2006 में चयन बोर्ड अधिनियम में संशोधन कर इन्हें पूर्णकालिक शिक्षक का दर्जा भी दिया गया था। सरकार ने 28 मार्च 2005 से पहले चयनित सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने का फैसला लिया है, लेकिन इन विशेषज्ञों को अभी तक पुरानी पेंशन नहीं मिली है।
माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि शुरुआत में इनकी नियुक्ति 5000 रुपये मानदेय पर केवल 11 महीनों के लिए हुई थी, जिसके बाद हर साल नवीनीकरण होता रहा, इसलिए वे पुरानी पेंशन के पात्र नहीं हैं। इस पर निर्दलीय सदस्य राज बहादुर चंदेल ने कहा कि बाद में इन्हें नियमित करते हुए लेक्चरर और प्रधानाचार्य के पद पर भी नियुक्त किया गया था।
नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव और भाजपा के सदस्यों उमेश द्विवेदी, श्रीचंद शर्मा समेत कई नेताओं ने इन विषय विशेषज्ञों को पुरानी पेंशन देने का समर्थन किया। वहीं, नेता सदन सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि उनकी नियुक्ति मूल पद पर नहीं हुई थी, बल्कि केवल 11 महीने के मानदेय पर थी। लंबी बहस के बाद माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने इस मुद्दे पर मानक के आधार पर पुनर्विचार करने का आश्वासन दिया।