लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल और अवध विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने स्पष्ट किया है कि अब विश्वविद्यालयों में कक्षाओं में 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति वाले छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। राज्यपाल ने इस व्यवस्था के पालन के लिए सभी विश्वविद्यालयों को सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अवध विश्वविद्यालय को प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ और आदर्श विश्वविद्यालय बनाने के लिए गुणवत्ता और कौशल दोनों पर ध्यान दिया जाएगा।

राज्यपाल सोमवार को डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 30वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता कर रही थीं। इस अवसर पर उन्होंने 125 मेधावी छात्रों को 140 स्वर्ण पदक प्रदान किए और स्नातक व परास्नातक की 1,89,119 डिग्री और अंकपत्र डिजिटल माध्यम से लॉकर में अपलोड किए।

आनंदीबेन पटेल ने कहा कि पिछले अनुभवों से यह स्पष्ट हुआ है कि कई छात्र-छात्राएं नियमित रूप से कक्षा में नहीं आते और अध्यापक भी शिकायत करते हैं कि छात्रों की उपस्थिति कम रहती है। इसी वजह से 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में रिसर्च और इन्क्यूबेशन सेंटर की कमी भी छात्रों की शिक्षा पर असर डालती है। उन्होंने अफसरों और शिक्षकों से इस कमी को दूर करने और विश्वविद्यालय की स्थिति सुधारने का आग्रह किया।

राज्यपाल ने छात्रों को चेताया कि वे ड्रग्स और शराब से दूर रहें और जीवन में अनुशासन बनाए रखें। उन्होंने लिव-इन रिलेशन जैसी सामाजिक बुराइयों से बचने का भी आग्रह किया और कहा कि युवाओं को माता-पिता और बुजुर्गों के अनुभव से सीख लेकर सही दिशा में जीवन जीना चाहिए।

आनंदीबेन पटेल ने यह भी बताया कि उच्च न्यायालय की पहल पर लखनऊ में पाक्सो एक्ट के तहत 200 पीड़ित बच्चियों के पुनर्वास में विश्वविद्यालयों की मदद ली जाएगी। इसमें उनके आवास, भोजन और शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी।

उन्होंने 25 नवंबर को होने वाले श्रीराम मंदिर के ध्वजारोहण के महत्व पर भी जोर दिया और छात्रों से कहा कि वे राम के आदर्श जीवन को अपने जीवन में अपनाएं।