उत्तरकाशी के धराली में 5 अगस्त को बादल फटने से भारी तबाही हुई, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और कई लोग अभी भी फंसे हुए हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने आसपास के गांवों, खासकर हर्षिल में भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया, जहां अचानक आई बाढ़ ने घरों को तहस-नहस कर दिया और संपर्क मार्ग बंद हो गए। सेना राहत और बचाव कार्य में जुटी है और प्रभावित क्षेत्रों को पुनः बसाने के लिए कई कदम उठा रही है।
सेना की ओर से कैप्टन पूनम चौधरी ने कम संसाधनों के बावजूद आपातकालीन इलाज के लिए प्राथमिक चिकित्सा क्षेत्र बनाया, जहां गंभीर रूप से घायल 13 लोगों का उपचार किया गया। दो गंभीर मरीजों को हेलीकॉप्टर से देहरादून और दो को एम्स ऋषिकेश भेजा गया। कैप्टन पूनम ने धराली में फंसे सैनिकों और स्थानीय लोगों की देखभाल भी की।
सेना ने हर्षिल में स्थिति सुधारने के लिए भारी मशीनरी तैनात की है। दो जेसीबी, एक एमपीटी और दो ट्रैक एक्सकैवेटर जल्द ही धराली पहुंचेंगे और रास्ते खोलने का काम तेज़ी से चल रहा है। यूनिट 418 और 411 की टीम ने हर्षिल से धराली तक लगभग 2 किलोमीटर पैदल मार्ग का निरीक्षण कर इसे वाहन योग्य बनाने के लिए काम शुरू कर दिया है। इसके अलावा, हर्षिल के करीब 100 मीटर उत्तर में 20 फीट लंबा अस्थायी ब्रिज (इंप्रोवाइज्ड AT ब्रिज) बनाया गया है ताकि राहत सामग्री आसानी से पहुंचाई जा सके।
ज्योशिमठ से राहत कार्य की निगरानी के लिए GE और 871 EWS की टीम भी रवाना हो चुकी है। भारतीय सेना, डॉक्टर, इंजीनियर और प्रशासनिक अधिकारी मिलकर प्रभावित लोगों की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
धराली में आई इस भयंकर आफत के दौरान पानी की तेज़ी और भारी नुकसान के वीडियो देशभर में वायरल हुए हैं, जिनमें स्थानीय लोगों की चीख-पुकार सुनाई देती है। अब तक लगभग 400 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है, लेकिन राहत एवं बचाव कार्य जारी है।