लोकसभा, विधानसभा और नगरीय निकाय चुनावों में लगातार हार झेलने के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस को कुछ हद तक संबल प्रदान किया है। पार्टी ने दावा किया है कि उसने राज्य के 12 जिलों में जिला पंचायत सदस्य की 138 सीटों पर अपने समर्थित उम्मीदवारों को विजयी बनाया है।
कुल 358 जिला पंचायत सीटों में से कांग्रेस ने 198 पर अपने समर्थित प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 138 ने जीत दर्ज की। इन परिणामों ने 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही कांग्रेस को नई ऊर्जा दी है।
वरिष्ठ नेताओं ने संभाला चुनावी मोर्चा
पार्टी के कई बड़े नेताओं ने इस चुनाव में सक्रिय भागीदारी निभाई। पौड़ी में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, देहरादून के चकराता क्षेत्र में विधायक प्रीतम सिंह, ऊधमसिंह नगर में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, अल्मोड़ा व नैनीताल में प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने-अपने क्षेत्रों में मोर्चा संभाला।
2019 की तुलना में इस बार कांग्रेस को जिला पंचायत स्तर पर अधिक सीटें हासिल हुई हैं, जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ा है।
युवाओं और परिवारवाद की नई पीढ़ी का उदय
चुनाव में कई युवा और राजनीतिक परिवारों से जुड़े नए चेहरे भी सामने आए। विधायक प्रीतम सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह ने पहली बार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत कर राजनीतिक पारी की शुरुआत की। पूर्व मंत्री शूरबीर सिंह सजवाण के बेटे अरविंद सिंह सजवाण ने क्षेत्र पंचायत सदस्य पद पर विजय प्राप्त की, जबकि पूर्व मंत्री गोविंद सिंह कुंजवाल की पुत्रवधू सुनीता कुंजवाल ने भी जीत दर्ज की।
इसके अलावा कोटद्वार कांग्रेस जिलाध्यक्ष विनोद डबराल की पत्नी कविता डबराल, पछवादून के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय किशोर, और एनएसयूआई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्याम सिंह चौहान ने भी जिला पंचायत सदस्य के रूप में जीत हासिल की।
2027 में सत्ता वापसी का दावा
पंचायत चुनाव के नतीजों को कांग्रेस नेतृत्व ने भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ जनमत करार दिया है। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा, “ग्रामीण मतदाताओं ने भाजपा के झूठे वादों और जनविरोधी रवैये को नकारते हुए कांग्रेस का समर्थन किया है। यदि भाजपा प्रलोभन और साजिशों से दूर रहे, तो जिला पंचायत अध्यक्ष पद भी कई जिलों में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों को मिल सकता है।”